बलियाः पुलिसवालों पर कानून व्यवस्था और शांति बनाए रखने की बड़ी जिम्मेदारी होती है, लेकिन यदि पुलिस विभाग ही न सुने तो आम आदमी क्या करे। आजकल गांव देहात में नाली और जलनिकासी जैसे मामलों पर पुलिस को गंभीर होना होगा। पीड़ित और दबंग दोनों पक्षों को समझाना भी होगा और सही कार्रवाई भी करनी होगी। इसे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। क्योंकि इसी का नतीजा लखनऊ में लोकभवन के सामने देखने को मिला है। जहां अमेठी में पुलिस की कार्रवाई और सुनवाई न होने से परेशान दो महिलाओं ने लोकभवन और विधानसभा के सामने आग लगा ली थी।
नया मामला बलिया का है। यहां के सुखपुरा थाना क्षेत्र के घोसवती गांव में मंजू देवी नाम की एक महिला को उसके घर के आसपास के लोग ही परेशान कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि मंजू देवी के पति रामजीत परिवार के पालन पोषण के लिए दिल्ली में नौकरी करते हैं। इधर मंजू देवी को उनके ही घर के आसपास रहने वालों ने परेशान करना शुरू कर दिया है। पीड़ित महिला मंजू देवी को परेशान कर रहे लोगों में आस-पास के लोगों में विक्रमा और संजय यादव का नाम आ रहा है।
जानकारी के मुताबिक, विक्रमा और संजय महिला मंजू को परेशान करने का बहाना खोजते रहते हैं। क्योंकि महिला का पति बाहर रहता है इसकी वजह से वह उसे अकेला पा कर उसके घर के सामने गोबर रखकर और नाली बंद कर बवाल और मारपीट करना चाहते हैं। आप वीडियों में देख सकते हैं कि किस तरह से बवाल करने के लिए विक्रमा और संजय गुट मंजू देवी के घर के सामने रास्ते में गोबर रखकर बवाल करने के लिए उकसा रहे हैं। पुलिस को ये वीडियो गंभीरता से लेना चाहिए।
स्थानीय लोग बताते हैं कि विक्रमा और संजय की हरकत से महिला परेशान है, लेकिन चुनावी माहौल को देखते हुए वर्तमान प्रधान को वोट लेना है इस लिए वह भी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। वह चाहें तो मामले को हल करवा सकते हैं। पीड़ित महिला ने थाने पर भी शिकायत की है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
वैसे तो गांव वालों ने मामले की गंभीरता को देखकर दोनों पक्षों में सुलह और समझौता भी करवा दिया था। इसको लेकर बाकायदा स्टांप पेपर पर दोनों पक्षों ने रजामंदी से हस्ताक्षर भी कर दिए थे, लेकिन अब पहले हुई रजामंदी को न मानकर मंजू देवी को विक्रमा और संजय फिर परेशान कर रहे हैं। बताया जाता है कि पूरा मामला पारिवारिक है, लेकिन विक्रमा और संजय अपने ही परिवार की महिला को इस तरह से प्रताड़ित करेंगे तो समाज और पुलिस को साथ देना होगा।
फर्क इंडिया ने थानेदार वीरेंद्र यादव से पूरे मामले पर बात की है। तो उनका कहना था कि उन्होंने विक्रमा और संजय को थाने पर बुलाया था एक दिन पहले, लेकिन ये नहीं आए। मैं मामले को दिखवाता हूं। बवाल नहीं होने दिया जाएगा। मैं कार्रवाई करता हूं।
सवाल ये है कि क्या ऐसे मामलों में पुलिस को उदासीन रहना चाहिए, यह कहते हुए कि यह तो पारिवारिक मामला है। नहीं पुलिस को शांति और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कार्रवाई करनी ही होगी। यदि किसी महिला को उसके परिवार के लोग भी परेशान कर रहे हैं, तो भी शिकायत पर पुलिस कर्रवाई करेगी।
अमेठी की दो महिलाओं को लखनऊ में लोकभवन के सामने आत्मदाह करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। ऐसी घटनाओं को लेकर सरकार सजग है। मुख्यमंत्री ने भी ऐसी छोटी-छोटी घटनाएं जो देखते ही देखते बड़ी हो जाती हैं। इसको लेकर समय से उचित कदम उठाते हुए दबंगों पर कार्रवाई कर पीड़ितों को न्याय देने की मंशा जाहिर की है। ऐसे में पुलिस को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। विक्रमा और संजय जैसे लोग ही गांव का माहौल खराब करते हैं।
(लखनऊ रिपोर्टर)