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गीता प्रेस के ट्रस्टी बैजनाथ अग्रवाल का निधन

मुख्यमंत्री ने कहा है कि ‘विगत 40 वर्षों से गीता प्रेस के ट्रस्टी के रूप में बैजनाथ का जीवन सामाजिक जागरूकता और मानव कल्याण के लिए समर्पित रहा। वह ईश्वर के अनन्य भक्त थे। बैजनाथ के निधन से समाज को अपूरणीय क्षति हुई है।’
गीता प्रेस के ट्रस्टी बैद्यनाथ अग्रवाल का निधन हो गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गीता प्रेस, गोरखपुर के ट्रस्टी बैजनाथ अग्रवाल (90) के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने उनके पुत्र देवी दयाल अग्रवाल से बात कर सांत्वना दी। शुक्रवार की रात करीब ढाई बजे गोरखपुर के हरिओम नगर स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली।
शोक संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा है कि ‘विगत 40 वर्षों से गीता प्रेस के ट्रस्टी के रूप में बैजनाथ का जीवन सामाजिक जागरूकता और मानव कल्याण के लिए समर्पित रहा। वह ईश्वर के अनन्य भक्त थे। बैजनाथ के निधन से समाज को अपूरणीय क्षति हुई है।’ सीएम ने परिजनों से बातकर उन्हें ढांढस बंधाया है। बता दें कि बैद्य नाथ अग्रवाल समाजसेवी भी रहे हैं। गीता प्रेस के माध्यम से उनका धार्मिक एवं सामाजिक जुड़ाव भी रहा है’।

बता दें कि हाल ही में गीता प्रेस ने अपना शताब्दी वर्ष मनाया था। भारत सरकार ने गीता प्रेस गोरखपुर का चयन साल 2021 के गांधी शांति पुरस्कार के लिए किया था। हालांकि, गीता प्रेस ट्रस्ट ने सम्मान तो स्वीकार कर लिया, लेकिन पुरस्कार के रूप में मिलने वाली एक करोड़ रुपये की राशि लेने से इनकार कर दिया था।

डेढ़ साल में बिकीं 1.75 लाख प्रतियां
गीता प्रेस से रंगीन धार्मिक पुस्तकों का प्रकाशन शुरू होने के बाद से लोग इसके कायल हो गए हैं। लोगों की पसंद का अंदाजा इसी बात से लगाई जा सकता है कि सिर्फ डेढ़ वर्षों में ही गीता प्रेस ने करीब 1.75 लाख रंगीन पुस्तकों की बिक्री कर ली है। खासतौर पर बुजुर्गों का रंगीन पुस्तकों की तरफ विशेष रुझान है।

गीता प्रेस प्रबंधन, पुस्तकों को लेकर नए-नए प्रयोग करते रहता है। साल 2021 में गीता प्रेस ने जापान से कलर प्रिंटिंग मशीन कोमोरी मंगाई। यह अबतक की सबसे आधुनिक कलर प्रिंटिंग मशीन है। इस मशीन के आने के बाद गीता प्रेस में आर्ट पेपर पर रंगीन पुस्तकों के प्रकाशन का सिलसिला शुरू हो गया। अप्रैल 2021 में सबसे पहले श्रीमद्भागवत गीता का प्रकाशन शुरू हुआ।

इस पुस्तक को लोगों ने खूब पसंद किया। श्रीमद्भावगत गीता पहले साधारण कागज पर ब्लैक एंड व्हाइट छपती थी। लोगों की पसंद को देखते हुए गीता प्रेस ने इसके बाद 2022 में दुर्गा सप्तशती और फिर सुंदरकांड का प्रकाशन शुरू किया। इन पुस्तकों को भी लोगों ने हाथों-हाथ लिया।