रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के एक साल पूरे होने के मौके पर यूएन जनरल असेंबली में क्रेमिल के खिलाफ प्रस्ताव को लेकर यूक्रेन लामबंदी में लगा है। यूक्रेन इस मामले में यूएन में भारत की भी मदद चाहता है। इसको लेकर यूक्रेन ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से संपर्क किया। यूक्रेन के राष्ट्रपति कार्यालय के हेड ऐंड्रीय येरमैक ने एनएसए डोभाल को फोन करके सहयोग मांगा है।

येरमैक ने कहा कि 23 फरवरी को पेश होने वाले प्रस्ताव पर यूक्रेन सभी देशों की मदद चाहता है खासकर दक्षिणी देशों की। उन्होंने कहा, हमारे लिए भारत का सहयोग बहुत जरूरी है। हमारा विश्वास है कि इस प्रस्ताव में भारत हमारी मदद करेगा। भारत हमेशा से ही संप्रभुता और सीमाओं पर शांति की बात करता रहा है। हमारा लक्ष्य पारदर्शी और साफ है। हम रूस में एक इंच भी दावा नहीं करते हैं। हम केवल अपना हिस्सा वापस चाहते हैं।
भारत की तरफ से फोन के जवाब में क्या कहा गया इसकी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मामले में कई बार रूस के राष्ट्रपति पुतिन और जेलेंस्की दोनों से ही बात कर चुके हैं। पिछले साल 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था। प्रधानमंत्री मोदी ने दोनों ही देशों से सीधे बातचीत करके हल निकालने की बात की थी। सितंबर में प्रधानमंत्री मोदी ने रूसी राष्ट्रपति से बातचीत के दौरान कहा था कि यह युग युद्ध का नहीं है।
अब तक यूएन में जब भी रूस के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया गया है भारत खुद को इससे अलग रखकता है। हालांकि भारत संप्रभुता की वकालत करता है। पिछले नवंबर में जेलेंस्की ने जी20 समिट के दौरान 10 पॉइंट शांति योजना रखी थी। बुधवार को यूएन जनरल असेंबली का सेशन शुरू हो रहा है। यूक्रेन के राष्ट्रपति कार्यालय की तरफ से कहा गया है कि यूक्रेन की हिम्मत के सामने रूसी सेनाओं की हिम्मत जवाब दे गई। यूक्रेन मौलिक सिद्धांतों को लेकर युद्ध कर रहा है। यूक्रेन को अपने देश की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा करनी है।
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