प्रदेश में प्रीपेड स्मार्ट मीटर मामले में पावर कार्पोरेशन बैकफुट पर आ गया है। आयोग को भेजे गए जवाब में कहा कि अभी कीमत वसूलने की अंतरिम व्यवस्था है। आगे से आयोग द्वारा तय किए गए मानकों के हिसाब से ही स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाएंगे। कार्पोरेशन ने अपने जवाब में यह भी कहा कि वह आयोग में 10 बार प्रस्ताव भेज चुका है।
प्रदेश में लग रहे प्रीपेड स्मार्ट मीटर की कीमत 6016 रुपये वसूलने, नियामक आयोग से अनुमति नहीं लेने, उपभोक्ताओं को प्रीपेड और पोस्टपेड का विकल्प नहीं चुनने देने के खिलाफ विद्युत उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग में याचिका दाखिल की है। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए नियामक आयोग ने पावर कार्पोरेशन को अवमानना नोटिस जारी किया।
विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 142 में कार्रवाई की तलवार लटकती देख कार्पोरेशन ने बीच का रास्ता निकाला है। भेजे गए जवाब में कार्पोरेशन ने कहा कि अभी अंतरिम व्यवस्था के तहत शुल्क लिया जा रहा है। आगे आयोग जो भी तय करेगा उसे ही माना जाएगा।
कार्पोरेशन ने यह स्वीकार किया है कि आरडीसएस स्कीम में खरीदे गए स्मार्ट प्रीपेड मीटर का प्रयोग उपभोक्ताओं के मीटर बदलने के लिए किया जा रहा है। इन उपभोक्ताओं से कोई शुल्क नहीं वसूल किया जाएगा। हालांकि पावर कार्पोरेशन ने भेजे गए जवाब में यह सवाल भी उठाया है कि उसने 10 बार डाटा कास्ट बुक को लेकर प्रस्ताव भेजा है, जिस पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है।
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