Friday , August 16 2024

गांधी जी आज भी दुनिया की सबसे बडी़ अहिंसा के रुप में लड़ने की ताकत और विचारधारा

पत्रकार / कवि
विनोद यादव

महात्मा गांधी के यथार्थ स्वरूप में पहचानना हैं तो अपनी संकुचित सोच विकसित करना होगा

महात्मा गांधी होना आसान ही नहीं ना मुमकिन भी हैं तभी तो आज के इस दौर की नफरत बाटने वाली राजनीति में गिनती के भी गांधी नहीं हैं उस दौर में जंग-ए- आजादी के नायको के जेहन में आजादी का सपना सिर्फ अंग्रेजी राज से मुक्ति का नहीं था , वह भूख, गरीबी , बेरोजगारी , और सामाजिक गैर बराबरी के खिलाफ साझी लड़ाई थी जो हम इतने सालो बाद भी जीत नहीं पाए है I बीते सात दशको में हमने बहुत कुछ हासिल भी किया लेकिन आजादी के साथ जो चुनौतिया जुडी थी, वह आज भी कायम है।गाँधी जी कहा करते थे लूट-खसोट ,असमानता , अत्याचार, गुलामी आदि पर आधारित कोई भी सत्ता हिन्दुस्तानियो को स्वीकार नहीं है ,लेकिन दुर्भाग्य से इतने सालो बाद भी औपनिवेशकालीन प्रवृतियाँ सामाजिक,आर्थिक,राजनैतिक जीवन में आज भी न केवल जीवित है बल्कि इनके आधुनिक संस्करण अपनी पूरी ताकत के साथ मौजूद है i एक लंबे सैद्धांतिक नैतिक और समतावादी संघर्ष के बाद मोहनदास करमचन्द गाँधी से महात्मा गाँधी बन गये, व्यक्ति से विचार बन गये,
जुनून ,जज़्बे,संकल्प और अहिंसा की मिशाल बन गये फिर अंत में गोली खाकर मरने से पहले अपने हत्यारे को माफ़ी दे अमर इतिहास बन गये “हम उस महात्मा के विचारों को बराबर भी आत्मसात कर पायें तो हमारा जीवन सफल हो जाये,वैसे तो देखा जाए


गाँधी बनने में एक उम्र लगती है, गोडसे तो एक पल में बना जा सकता है! आम तौर पर आज इस बदलते राजनैतिक परिपेक्ष में देखे तो एक तरह जहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की विचारधारा को लगातार एक ऐसी सत्ता जो कभी गांधीवादी विचारधारा को मानती नहीं जिसकी विचारधारा और जेहन में सिर्फ धर्म के आधार पर नफरत परोसने का कारोबार हो जो गांधी के हत्यारों का महिमामंडन करते हो ऐसे लोगों ने आज राजनीति में गांधीवादी लोगों की जुबां पर न सिर्फ ताला लगाने का काम किया बल्कि आवाज उठाने वाले लोगों को सलाखों के पीछे डालने का भी काम किया हमें ऐसे लोगों से सचेत ही नहीं रहना बल्कि मजबूती के साथ लड़ना भी होगा ,
वास्तविक तौर पर देखा जाए तो
गांधीवादी मार्ग का एक नैतिक नियम यह भी है कि सत्ता के मोह से दूर रहो। स्वयं गांधी दुनियां के इतिहास में एकमात्र ऐसा उदाहरण हैं जिसने देश के स्वाधीनता आंदोलन का नेतृत्व करने के बावजूद देश की आजादी के बाद सत्ता अपने हाथ में नहीं ली। आज जो नेता गांधीवादी बनकर राजनीति कर रहे हैं उन्हें मालूम होना चाहिए कि गांधी राजनीति की विषय वस्तु नहीं हैं बल्कि समाज नीति की विषय वस्तु हैं। मेरा अपना मानना हैं कि गांधी के मार्ग पर चलने के लिए आपको राजनीति छोड़नी पड़ेगी। नहीं छोड़ सकते हैं तो फिर आप गांधीवादी नहीं हैं। दरअसल गांधीवादी राजनीति नाम की कोई चीज़ होती ही नहीं है। क्योंकि राजनीति सत्ता प्राप्त करने का साधन है और गांधी सत्ता के विरुद्ध हैं। गांधी मार्ग सत्ता की तरफ नहीं, समाज की तरफ़ जाता है। गांधी जी ने कहा था
“आप मुझे बेड़ियों से जकड़ सकते हैं, यातना दे सकते हैं, आप इस शरीर को ख़त्म भी कर सकते हैं, लेकिन आप मेरे विचारों को क़ैद नहीं कर सकते।” आज अगर हम विचारों के साथ विचारधारा की बात करें और देखे तो गांधी आज भी दुनिया की सबसे बड़ी ताकत है और अपने जीवनकाल से ज्यादा वर्तमान मे प्रासंगिक हैं ।
पंडित नेहरू ने महात्मा गांधी जी के देहावसान पर कहा था वह कोई साधारण प्रकाश नहीं थें, जिस प्रकाश ने देश को प्रज्वलित किया था । वह प्रकाश आगे भी इस देश को ज्योतित करता रहेगा और हजारो -हजारों वर्षो बाद भी हम उस प्रकाश को देख पायेगे । उसे सारी दुनिया देखेगी क्योकि वह जीवित और अनश्वर सत्य का प्रतीक था। हर उस जगह पर जहां अन्याय होगा ,वहां बापू खड़े मिलेगें । गांधी आज भी जिंदा है ओ गोली से नहीं मरेगें ।गांधी को जितना समझ और पढ़ सकते हो पढ़ और समझो लिखो और आवाज बनों यही उनके प्रति सबसे सच्ची श्रद्धांजलि होगी ।।