द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (DMK) ने सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन अधिनियम को चुनौती दी है। DMK ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019, मनमाना है, क्योंकि यह केवल 3 देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से संबंधित है। DMK का कहना है कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019, में केवल 6 धर्मों यानी हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों को शामिल किया गया है।

DMK की CAA को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
DMK ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019, में स्पष्ट रूप से मुस्लिम धर्म को बाहर रखा गया है। ये मनमाना है, क्योंकि यह केवल तीन देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से संबंधित है और केवल 6 धर्मों समुदायों से ही संबंधित हैं।
DMK ने अपनी याचिका में क्या कहा
दरअसल, द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (DMK) ने नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 (CAA) को चुनौती देने वाली अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक हलफनामा दाखिल किया है। डीएमके का कहना है कि धार्मिक अल्पसंख्यकों को ध्यान में रखते हुए भी वह भारतीय मूल के ऐसे तमिलों को ध्यान रख रहा है, जो उत्पीड़न के कारण श्रीलंका से भागकर वर्तमान में शरणार्थी के रूप में भारत में रह रहे हैं।
क्या है नागरिकता संशोधन कानून
आपको बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून 2019 (CAA), भारत के तीन पड़ोसी देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देता है। इस कानून के तहत उन अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिलेगी, जिन्होंने लंबे समय से भारत में शरण ली हुई है। इनमें 6 धर्मों के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों को शामिल किया गया है। हालांकि इस कानून से मुस्लिम धर्म को बाहर रखा गया है।
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