उत्तराखंड में मानव वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए वन विभाग एक अलग सेल बनाने की तैयारी में हैं। स्पेशल सेल में विभिन्न विषयों के एक्सपर्ट शामिल किए जाएंगे। ताकि मानव वन्यजीवों के संघर्ष को रोकने के लिए फौरी एवं दीर्घकालीन रणनीति बनाई जा सके। राज्य में मानव वन्यजीव संघर्ष के मामले बढ़े हैं। इस साल अब तक गुलदार ने 19 लोगों की जान ले ली है। वहीं 64 लोगों को घायल कर दिया है, जबकि बाघ ने 11 लोगों को मौत के घाट उतार दिया है और 5 लोग उसके हमले में घायल हुए हैं।

राज्य में हाथी-भालू आदि वन्यजीवों के हमलों में भी लोगों की जान जा रही है। इसीलिए अब मानव वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए एक सेल का गठन किया जाएगा। योजना के तहत वन विभाग संघर्ष की घटनाओं का डेटा जुटा रहा है। इसके लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान, दून और डब्ल्यूआईआई की मदद ली जा रही है। डब्ल्यूआईआई से मिलने वाले डेटा का एक्सपर्ट यहां विश्लेषण करेंगे। विश्लेषण के बाद मानव वन्यजीव संघर्ष रोकने को रणनीति बनाई जाएगी। वन्यजीवों के हमले के समय व सीजन का भी विश्लेषण किया जाएगा। यानि कौन सा वन्यजीव किस मौसम में और किस समय यानि वह सुबह, दिन, सायं या रात किस समय ज्यादा हमलावर है।
मूवमेंट की होगी जांच
जानकारों के अनुसार, स्पेशल सेल वनों में पालतू मवेशियों के मूवमेंट की भी जांच की जाएगी। जिन जगह पर मवेशियों का मूवमेंट ज्यादा है। वहां पर वन्यजीवों के मूवमेंट व उनकी संख्या का भी आकलन किया जाएगा।
ज्यादा संघर्ष वाले क्षेत्र किए जाएंगे चिह्नित
राज्य में जिन-जिन क्षेत्रों में मानव वन्यजीव संघर्ष ज्यादा हैं उन जगहों को चिह्नित किया जाएगा। उन जगहों पर कौन से वन्यजीव का मूवमेंट ज्यादा है और उसकी वजह क्या है इसका ठोस विश्लेषण किया जाएगा।
उत्तराखंड के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक, डॉ. समीर सिन्हा ने बताया कि, मानव वन्यजीव संघर्ष पर अंकुश लगाने के लिए फौरी एवं दूरगामी रणनीति बनाने की जरूरत है। इसके लिए हम डब्लूआईआई व अन्य स्रोतों से डेटा जुटा रहे हैं। मानव वन्यजीव संघर्ष को रोकने को सेल का गठन किया जा रहा है।
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