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सरकार ने जीएसटी के नियमों में किया बड़ा बदलाव, आइए समझें कि इसका क्या असर होगा-

सरकार ने जीएसटी के नियमों में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है। एक अगस्त से पांच करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार वाले व्यापरियों को बी2बी लेनदेन के लिए इलेक्ट्रॉनिक या ई-चालान जनरेट करना अनिवार्य होगा। वर्तमान में जीएसटी के तहत 10 करोड़ रुपये और उससे अधिक के टर्नओवर वाले व्यवसायों को सभी B2B लेनदेन के लिए ई-इनवॉइस जनरेट करना आवश्यक है। वित्त मंत्रालय ने 10 मई को ई-चालान के लिए लेनदेन की सीमा में होने वाली कमी को अधिसूचित कर दिया है। ये नियम 1 अगस्त से प्रभावी होगा। वित्त मंत्रालय ने कहा है कि 5 करोड़ रुपये से अधिक के टर्नओवर वाले किसी भी करदाता को बी2बी ट्रांजैक्शन के लिए ई-चालान जारी करना अनिवार्य हो जाएगा।

क्या होगा इस बदलाव का असर

डेलॉइट इंडिया पार्टनर लीडर इनडायरेक्ट टैक्स महेश जयसिंह ने कहा कि इस घोषणा के साथ, ई-चालान के तहत एमएसएमई का दायरा बढ़ाया जाएगा और उन्हें ई-चालान लागू करने की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि कंपनियों के लिए ई-चालान अभिशाप के बजाय वरदान है, क्योंकि आपूर्तिकर्ता जो ई-चालान जनरेट करते हैं, उसी आधार पर वे इनपुट टैक्स क्रेडिट में योगदान करते हैं।

बढ़ेगा सरकार का राजस्व

एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के सीनियर पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि ई-चालान के चरणबद्ध कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप व्यवधान कम हुए हैं, अनुपालन में सुधार हुआ है और राजस्व में वृद्धि हुई है। ई-चालान शुरू में 500 करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार वाली बड़ी कंपनियों के लिए लागू किया गया था और 3 साल के भीतर इस सीमा को घटाकर अब 5 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

व्यापारियों को क्या होगा लाभ

ई-चालान व्यवस्था में एमएसएमई क्षेत्र को शामिल करने से लागत कम करने, त्रुटियों को तर्कसंगत बनाने, तेजी से चालान प्रोसेसिंग सुनिश्चित करने और लंबी अवधि में वाणिज्यिक विवादों को सीमित करने में मदद मिलेगी। इससे बिजनेस इकोसिस्टम को भी लाभ होगा। गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) कानून के तहत, 1 अक्टूबर, 2020 से 500 करोड़ रुपये से अधिक के टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए बिजनेस-टू-बिजनेस (बी2बी) लेनदेन के लिए ई-चालान अनिवार्य कर दिया गया था, जिसे बाद में 1 जनवरी, 2021 से 100 करोड़ रुपये से अधिक टर्नओवर तक था। 1 अप्रैल, 2021 से 50 करोड़ रुपये से अधिक के टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए B2B ई-चालान जनरेट करना जरूरी किया गया। 1 अप्रैल, 2022 से इस सीमा को घटाकर 20 करोड़ रुपये कर दिया गया था। 1 अक्टूबर, 2022 से सीमा को और घटाकर 10 करोड़ रुपये कर दिया गया था।