लखनऊ।। राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेजों में संविदा शिक्षकों की नियुक्ति में घालमेल हो गया है। इसकी जांच शुरू हो गई है। ऐसे में विभाग के कई अधिकारियों एवं कर्मचारियों की गर्दन फंसनी तय है। आयुष विभाग ने होम्योपैथी निदेशालय से रिपोर्ट तलब की है।

राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में खाली पदों पर संविदा के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति होती है। यह नियुक्ति एक वर्ष के लिए अथवा आयोग की ओर से नियमित चयन होने तक के लिए होती है। संविदा पर उन्हीं पदों पर नियुक्ति की जाती है, जो पद खाली हों। इस वर्ष फिजियोलॉजी एंड बायोकेमेस्ट्री में तीन, एनोटॉमी में तीन, फोरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी में एक प्रवक्ता को रीडर के पद पर प्रोन्नति दी गई। ऐसे में रीडर के पद भर गए थे। इसके बाद भी इन पदों पर संविदा के आधार पर नियुक्ति कर ली गई। इस वर्ष नियुक्ति में पिक एंड चूज की नीति अपनाई गई। जिन संविदा शिक्षकों को रखा जाना था, उनके लिए नियमों की भी अनदेखी की गई है। मामले की जानकारी मिलने पर आयुष विभाग ने होम्योपैथी निदेशक को पत्र भेजकर पूरे मामले में जिम्मेदार अधिकारियों एवं कर्मचारियों से स्पष्टीकरण लेने, प्रतिकूल प्रविष्टी देने का निर्देश दिया है। इसमें यह भी कहा गया है कि पीक एंड चूज की नीति के तहत शासन को भ्रामक सूचना देने के उत्तरदायी कार्मिक (पटल सहायक)के नाम व पदनाम की सूचना तत्काल उपलब्ध कराई जाए। इस आदेश के बाद होम्योपैथी निदेशालय में हलचल मची है। इस संबंध में निदेशक एके वर्मा का कहना है कि शासन के निर्देश पर मामले की जांच कराई जा रही है। जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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