लखनऊ ।।भारत के स्वच्छ, सुन्दरीकरण एवं स्वस्थ बनाने हेतु द बोनसाई पैराडाइज संस्था द्वारा दिनांक 07 एवं 8 अक्टूबर को वार्षिक बोनसाई कला प्रर्दशनी का आयोजन कला स्त्रोत अलीगंज में किया गया जिसका उद्घाटन वरिष्ठ कलाकार एवं वैज्ञानिक अनिल रस्तोगी जी ने किया।

प्रदर्शनी में द बोनसाई पैराडाइज संस्था के सदस्यों द्वारा विभिन्न जाति एवं प्रजाति के पौधों को बानेसाई कला द्वारा एक अनुठा संकलन प्रदर्शित किया गया है। संस्था के संस्थापक शाश्वत पाठक ने अवगत कराया कि बोनसाई कला एक काष्ठीय पौधों को लघु आकार एवं आकर्षक रूप में विशेष तकनीक से बनाने की कला है। संस्था द्वारा शिक्षण, प्रशिक्षण, विशेष तकनीक से बनाए गए देश एवं विदेश में बने गमले, खाद एवं औजार भी उपलब्ध कराए जाते है।

भारत में प्राचीन काल से वेद, पुराण एवं वास्तुशास्त्र में पेड़ों का महत्व बताया गया है बड़े पौधों को लघुकृत रूप में घरों में भी लगाया जा सकता है जिससे बोनसाई कला द्वारा एक तरफ शारीरिक स्वस्थ्य अच्छा रखता है तो दूसरी तरफ आत्मविश्वास भी बढ़ाने में मदद मिलता है और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है घरों में सुन्दरता को बढ़ाते है।
बोनसाई कला के द्वारा दूर-दराज प्राकृतिक दृश्यों को मानव के नजदीक लाने की एक कोशिश है इस कला का विकास बौद्ध धर्म के काल ये काफी विकसित किया गया।

शाश्वत पाठक का कहना है बोनसाई कला से सबसे बड़ी बात जो हमने सीखा कि इनको जितना प्यार दीजिए साथ रहिए उतना ही ये आपको स्वस्थ्य रखते हुए खुद भी जल्दी बढ़ते है। बोनसाई कला के द्वारा दूर-दराज प्राकृतिक दृश्यों को मानव के नजदीक लाने की एक कोशिश है इस कला का विकास बौद्ध धर्म के काल ये काफी विकसित किया गया।
इस प्रदर्शनी में शहर एवं बाहर से काफी लोग आए। विशिष्ट अतिथि के. के. अरोडा, रेनू प्रकाश , पद्मा सिंह ,विकास,डॉ मधु पाठक सुमन सिंघल,अभिषेक शुक्ला
निम्मी,सुजाता,रागिनी,हेमा गर्ग,सुमन अग्रवाल, ममता कुमार द्रोणमनीषा भी उपस्थित थे।
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