गोंडा में दलित बुजुर्ग की हत्या के मामले की विवेचना 14 बार बदलने के मामले में नया खुलासा हुआ है। कैसरगंज से भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने प्रमुख सचिव गृह को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि जांच बदलवाने के लिए उनके फर्जी लेटर पैड का इस्तेमाल किया गया था। भाजपा सांसद ने प्रमुख सचिव को लिखे पत्र में कहा कि इस मामले की विवेचना स्थानांतरित करने के संबंध में वर्ष 2017 में मेरा एक फर्जी पत्र आपको प्रेषित किया गया है। इस पत्र पर मेरे हस्ताक्षर पूरी तरह से फर्जी हैं। किसी व्यक्ति द्वारा फोटोस्टेट कराकर मेरे हस्ताक्षर का दुरुपयोग किया गया है। कॉपी-पेस्ट करके इस पत्र को जालसाजी कर बनाया गया है। उन्होंने दावा किया कि विवेचना स्थानांतरित करने के लिए उन्होंने प्रमुख सचिव को कोई पत्र नहीं भेजा था। उन्होंने इस मामले में आगे कार्रवाई करने का अनुरोध भी किया है।
राजनेताओं की भूमिका भी आई सामने वहीं इस मामले में गोंडा के कुछ अन्य राजनेताओं की भूमिका भी सामने आ रही है। सूत्रों के मुताबिक कई स्थानीय नेताओं ने आरोपियों की पैरवी करते हुए विवेचना को स्थानांतरित करने का पत्र लिखा था। वर्ष 2017 में गोंडा के एसपी रहे उमेश सिंह ने बताया कि उन्होंने राजनेताओं की सिफारिश के साथ आरोपियों के अनुरोध पर विवेचना को बार-बार स्थानांतरित करने का विरोध किया था। नियमों के मुताबिक केवल वादी पक्ष के अनुरोध पर ही विवेचना को स्थानांतरित किया जा सकता है, जिसके बारे में उन्होंने उच्चाधिकारियों को अवगत भी कराया था।
करोड़ों की भूमि बनी विवाद की जड़ यह भी सामने आया है कि दलित बुजुर्ग रमई की हत्या की वजह गोण्डा बहराइच राजमार्ग पर स्थित करोड़ों रुपये की भूमि थी, जिसे आरोपी अपने नाम कराना चाहते थे। कई बार प्रयास करने और दबाव बनाने के बाद भी जब रमई ने भूमि बेचने से मना कर दिया तो उसे ठिकाने लगाने की योजना बनाई गयी थी। इसकी पुष्टि पूर्व में 13 अधिकारियों द्वारा की गयी जांच में भी हुई थी। पीड़ित परिवार का आरोप है कि वर्तमान विवेचक प्रयागराज सेक्टर के एसपी समीर सौरभ ने आरोपियों को क्लीन चिट देते हुए उनके मददगारों को ही आरोपी बना दिया।
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