मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मूल निवास प्रमाण पत्र के मानकों के निर्धारण करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने भू कानून की सिफारिशों पर कार्रवाई के लिए गठित अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में बनी उच्च स्तरीय समिति से मूल निवास प्रमाण पत्र के मानकों के निर्धारण के संबंध में सिफारिशें देने को कहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके लिये राज्य हित सर्वोपरि है। राज्यवासियों ने जिस संकल्प के साथ राज्य निर्माण का सपना देखा है उसको पूर्ण करने के लिये वे निरंतर प्रयासरत हैं। राज्यवासियों का राज्य हित से जुड़ा भू-कानून हो या मूल निवास प्रमाण पत्र का विषय इस दिशा में राज्य सरकार संजीदगी के साथ राज्यवासियों के साथ है।
इसी के दृष्टिगत इन विषयों पर विचार विमर्श कर अपनी स्पष्ट सिफारिश राज्य सरकार को उपलब्ध कराने के लिए ही अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया है। जिसमें विषय विशेषज्ञ के रूप में अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है।
रोजगार के अवसरों में वृद्धि
बता दें कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर सामान्य प्रशासन विभाग यह आदेश जारी कर चुका है कि जिन लोगों के पास मूल निवास प्रमाण पत्र है, उन्हें स्थाई निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की बाध्यता नहीं है। भू कानून और मूल निवास के मुद्दे पर गरमाई के सियासत के बीच मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उन्होंने भू कानून के संबंध में एक उच्चस्तरीय समिति बनाई थी।
समिति को राज्य में औद्योगिक विकास कार्यों के लिए भूमि की आवश्यकता तथा राज्य में उपलब्ध भूमि के संरक्षण के मध्य संतुलन को ध्यान में रख कर विचार-विमर्श करते अपनी सिफारिशें सरकार को उपलब्ध कराने को कहा था। पूर्व में गठित समिति राज्य के हितबद्ध पक्षकारों, विभिन्न संगठनों, संस्थाओं से सुझाव आमंत्रित कर गहन विचार -विमर्श कर लगभग 80 पृष्ठों में अपनी रिपोर्ट तैयार की थी।
इसके अलावा समिति ने सभी जिलाधिकारियों से प्रदेश में अब तक दी गई भूमि खरीद की मंजूरियों का विवरण मांग कर उनका परीक्षण भी किया। समिति ने अपनी सिफारिशों में ऐसे बिंदुओं को शामिल किया जिससे राज्य में विकास के लिए निवेश बढ़े और रोजगार के अवसरों में वृद्धि हो। साथ ही भूमि का अनावश्यक दुरुपयोग रोकने की भी समिति ने सिफारिश की है।
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