राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में नए ध्वज और प्रतीक चिन्ह का अनावरण किया। राष्ट्रपित द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को कहा कि त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए न्यायालयों में ‘स्थगन की संस्कृति’ को बदलने के लिए प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।
मुर्मू ने भारत मंडपम में आयोजित कार्यक्रम के दौरान सुप्रीम कोर्ट का झंडा और प्रतीक चिन्ह भी जारी किया। जिला न्यायपालिका के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि न्यायालयों में लंबित मामलों का होना ‘हम सभी’ के लिए एक बड़ी चुनौती है।
‘सभी न्यायाधीशों की जिम्मेदारी है, न्याय की रक्षा करें’
उन्होंने कहा कि न्यायालय में स्थगन की संस्कृति को बदलने के लिए सभी संभव प्रयास किए जाने चाहिए। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि देश के सभी न्यायाधीशों की जिम्मेदारी है कि वे न्याय की रक्षा करें।
उन्होंने कहा कि न्यायालयों में आम लोगों का तनाव स्तर बढ़ जाता है। उन्होंने ‘ब्लैक कोर्ट सिंड्रोम’ का जिक्र किया और सुझाव दिया कि इसका अध्ययन किया जाना चाहिए।
अधिकारियों की संख्या पर दिया बयान
राष्ट्रपति ने महिला न्यायिक अधिकारियों की संख्या में वृद्धि पर भी प्रसन्नता व्यक्त की। इस कार्यक्रम में भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और केंद्रीय कानून एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल शामिल हुए।
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