फिरोजाबाद नौशहरा में धमाका हुए लगभग 100 घंटे से अधिक बीत चुके हैं। बावजूद गांव में बिजली-पानी की व्यवस्थाएं अब तक बहाल नहीं हो सकी हैं। अब हादसे से पीड़ित हुए सैकड़ों लोग बिजली-पानी की समस्या से हर रोज जूझ रहे हैं। धमाके में घरों की छतों पर रखी पानी की टंकियां फट चुकी हैं। दरवाजों के पास बिछी हुई पानी की पाइप लाइनें ध्वस्त हो गई हैं। अब लोग हैंडपंपों से पानी भरकर अपना जीवन यापन करने को मजबूर हैं।
शिकोहाबाद के नौशहरा में हुए धमाके का दर्द 100 घंटे बीतने के बाद भी कम नहीं हुआ है। आज भी वही दर्द लोगों के जेहन में जिंदा है। हादसे में बेबस हुए सैकड़ों लोग अपने मकानों और अपनों को खोने के दर्द से उभर नहीं पाए हैं। हादसे के बाद भी उनका दर्द उभरकर आ रहा है। अभी तक लोगों के सामने खाने की विकराल समस्या थी। हादसे में पीड़ित हुए बच्चे, बूढ़े और जवान सभी भूख से तिलमिला रहे थे। उनके लिए जब समाजसेवी संस्थाओं, प्रशासन एवं शहर के कुछ लोगों ने अपने निजी खर्च पर भोजन की व्यवस्था कराई। इससे लोगों को राहत तो मिली, लेकिन बीते 100 घंटे से गांव में बिजली-पानी की सुविधाएं प्रशासन बहाल नहीं करा सका है। हालात कुछ ऐसे हैं कि गांव में शाम होने के साथ ही अंधेरा छा जाता है। हर घर में अंधेरा है। बिजली और पानी की समस्या से अब सैकड़ों लोग जूझ रहे हैं।
धूप निकली तो लोगों ने सुखाए बिस्तर और राशन
हादसे में लोगों के आशियाना उजड़ने के बाद किसी तरह से लोगों ने रहने की वैकल्पिक व्यवस्था तो कर ली है, लेकिन बारिश और मलबे में दबे हुए उनके घर में रखी खाद्य सामग्री तथा बिस्तर आदि सब कुछ भीग गया। शुक्रवार सुबह जब तेज धूप निकली, तो लोगों ने गांव में अपने घर के बिस्तरों एवं गीली हो चुकी खाद्य सामग्री को धूप में सुखाया।
मलबे के नीचे दबे हैं मरे हुए पशु
धमाके के बाद महिला-पुरुषों को रेस्क्यू करने के बाद गाजियाबाद और बरेली से आई एनडीआरएफ की टीमें पशुओं को पूरी तरह से रेस्क्यू नहीं कर सकीं। शुक्रवार को जब घटनास्थल पर पहुंचे, तो मलबे के नीचे पांच बकरियों के दबे होने की जानकारी ग्रामीणों ने दी। उनके अवशेषों से दुर्गंध आ रही थी। वहां खड़ा होना भी मुनासिब नहीं था।
जर्जर मकानों को देखकर लोग बहा रहे आंसू
शिकोहाबाद। बीते बृहस्पतिवार को प्रशासन ने जर्जर हो चुके मकानों को ध्वस्त करवाने के लिए बुलडोजर चलवाया था। जिनके गिरने के बाद हादसे में हुए नुकसान का आंकलन करने के लिए तहसील प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची। जिसने नुकसान का आकलन किया। शुक्रवार को टीम आकलन करती रही। वहीं गांव के लोग अपन ध्वस्त और जर्जर हो चुके मकानों को देखकर आंसू बहाते रहे। उनके आंसू पोंछने वाला कोई नहीं था।
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