हमारे देश में ज्यादातर लोगों को हाइपोथायरायडिज्म की समस्या रहती है इसलिए आज हम विशेष रूप से हाइपोथायरायडिज्म की बात करेंगे। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर का मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, जिससे वजन बढ़ना, थकान और सुस्ती जैसी परेशानियां होती हैं। थायरॉइड के रोगियों के लिए दवाओं के साथ-साथ अपने आहार पर नियंत्रण रखना जरूरी है। कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे होते हैं जो थायरॉइड हार्मोन के उत्पादन में बाधा डालते हैं या आपकी दवाओं के अवशोषण को कम करते हैं, जिससे आपकी परेशानी और इलाज अप्रभावी हो सकता है। अगर कोई हाइपोथायरायडिज्म से परेशान है, तो उसे कुछ चीजों के सेवन से परहेज करना चाहिए। आइए इस लेख में इसी के बारे में विस्तार से जानते हैं।
गोइट्रोजेन युक्त क्रूसिफेरस सब्जियां
गोइट्रोजेन ऐसे कंपाउंड होते हैं जो थायरॉइड ग्रंथि द्वारा आयोडीन के उपयोग में बाधा डालते हैं, जिससे हार्मोन का उत्पादन कम हो जाता है। हाइपोथायरायडिज्म में यह स्थिति और बिगड़ जाती है। इसलिए ऐसे मरीजों को पत्तागोभी, फूलगोभी, ब्रोकली, केल और मूली जैसी क्रूसिफेरस सब्जियों के सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए और अच्छे से पकाकर ही करना चाहिए। ध्यान रखें अच्छी तरह से पकाकर ही खाएं क्योंकि पकाने से गोइट्रोजेन यौगिकों का प्रभाव काफी हद तक कम हो जाता है।
सोया उत्पाद
सोयाबीन और इससे बने उत्पादों (जैसे टोफू, सोया मिल्क, सोया सॉस) में आइसोफ्लेवोन्स नामक कंपाउंड होते हैं। ये कंपाउंड थायरॉइड की दवा के अवशोषण में बाधा डालते हैं। इसलिए हाइपोथायरायडिज्म के रोगियों को अपनी दवा लेने के कम से कम चार घंटे बाद ही सोया उत्पाद खाने चाहिए।
अत्यधिक चीनी और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स
हाइपोथायरायडिज्म की वजह से मेटाबॉलिज्म धीमा होता है और वजन आसानी से बढ़ जाता है। ऐसे में अत्यधिक चीनी (मिठाई, सोडा) और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन करने से परहेज करना चाहिए। ये खाद्य पदार्थ न सिर्फ आपका वजन तेजी से बढ़ाते हैं, बल्कि शरीर में सूजन भी पैदा करते हैं। यह सूजन थायरॉइड की समस्याओं को बढ़ा सकती है और मरीज को और अधिक थका हुआ महसूस करा सकती है।
कैफीन का सीमित सेवन
हाइपोथायरायडिज्म के मरीजों को चाय और कॉफी जैसे पेय पदार्थों में मौजूद कैफीन का सेवन सीमित करना चाहिए। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि दवा लेने के बाद कम से कम एक घंटे तक कैफीन वाले पेय पदार्थों का सेवन न करें।
शराब से पूरी तरह बचें
हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित लोगों को शराब का सेवन पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए। शराब का सीधा प्रभाव लिवर पर पड़ता है, जो थायरॉइड हार्मोन (T3 और T4) को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शराब थायरॉइड हार्मोन के उत्पादन और उनके सही तरह से काम करने में गंभीर बाधा डालती है। इससे आपकी पहले से मौजूद थकान, वजन बढ़ने और सुस्ती जैसी समस्याएं बहुत अधिक बिगड़ सकती हैं।
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