चिंताजनक आंकड़ों के बीच एक अच्छी खबर यह है कि जिन कम उम्र के लोगों में अभी इसकी शुरुआत हुई है, उन्हें थोड़े से इलाज के बाद मधुमेह से छुटकारा मिल सकता है।
देश में करीब सात करोड़ मधुमेह रोगी हैं और आठ करोड़ इसकी शुरुआती स्टेज का सामना कर रहे हैं। इन चिंताजनक आंकड़ों के बीच एक अच्छी खबर यह है कि जिन कम उम्र के लोगों में अभी इसकी शुरुआत हुई है, उन्हें थोड़े से इलाज के बाद मधुमेह से छुटकारा मिल सकता है। कुछ साल पहले तक यह माना जाता था कि एक बार शुगर होने पर जीवनभर दवा खाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि मधुमेह पर नियंत्रण संभव है, इलाज नहीं।
पब मेड पर मौजूद जर्नल ऑफ नैचुरल साइंसेज, बायोलॉजी एंड मेडिसिन में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, ऐसे भारतीय जिन्हें मधुमेह का खतरा सबसे अधिक था, उनमें डायबिटीज रिवर्सल यानी मधुमेह का पूरी तरह से खत्म होना देखा गया है। जर्नल की रिपोर्ट में बेंगलुरु के एक अस्पताल में 32 मधुमेह रोगियों के इलाज के आधार पर यह नतीजा निकाला गया है कि इनमें से 68.79 फीसदी लोग दो साल के भीतर पूरी तरह से मधुमेह से मुक्त हो गए। ये लोग युवा थे, और इनमें से तीन मरीज ऐसे थे, जो इंसुलिन ले रहे थे। बाकी सभी मरीज दवाएं ले रहे थे।
सिर्फ गहन जीवन शैली के जरिए दिया इलाज
शोध के अनुसार, चार मरीजों को सिर्फ गहन जीवन शैली (आईएलटी) के जरिए इलाज दिया गया। 25 रोगियों को आईएलटी के साथ एक दवा मेटफोर्मिन भी दी गई। शेष तीन लोग इंसुलिन पर थे, जिन्हें कोई सह संक्रमण भी था। यह देखा गया कि एक साल के भीतर 75 प्रतिशत मरीजों का शुगर लेवल नियंत्रण के दायरे में आ गया, जबकि दो साल के बाद 68.75 फीसदी की शुगर नियंत्रित पाई गई। इसका मतलब यह हुआ कि एक साल के बाद कुछ लोगों को फिर से मधुमेह हो गया।
ऐसे किया उपचार-
आईएलटी के दौरान दो बातों पर ध्यान दिया गया। एक रोगी के भोजन की मात्रा कम की गई। इसे 1500 किलो कैलोरी प्रतिदिन किया गया जबकि स्वस्थ व्यक्ति के लिए 2100 किलो कैलोरी की जरूरत होती है। दूसरे रोज एक घंटे तक तेज-तेज चलना होता है। कम कैलोरी लेने से और रोज तेज चलने से यकृत में जमा फैट धीरे-धीरे कम होने लगता है। इससे यृकत से जो फैट रक्त के जरिये अग्नाशय में पहुंचकर उसकी बीटा सेल्स के कार्य को बाधा पहुंचाता था, वह भी हटने लगता है। कोशिकाएं जब पहले की भांति इंसुलिन पैदा करती हैं तो वह रक्त में शर्करा को नियंत्रित करने लगती हैं। मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉ. अनूप मिश्रा कहते हैं 20 फीसदी तक रोगियों में मधुमेह खत्म करना संभव है।
ऐसे रोगियों को राहत
रिपोर्ट के अनुसार, जिनमें मधुमेह की शुरुआत हुई, उन सबके अग्नाशय में इंसुलिन पैदा करने वाली बीटा कोशिकाएं क्षतिग्रस्त नहीं होती हैं बल्कि वसा की अधिकता के कारण उनका कार्य बाधित हो रहा होता है। यह भी टाइप-2 मधुमेह का एक बड़ा कारण है। वसा को कम करके डायबिटीज को दूर किया जा सकता है।
किन रोगियों को होगी मुश्किल-
ऐसे मधुमेह रोगी जीवनशैली में बदलाव करके पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं। लेकिन जिनका इंसुलिन पैदा ही नहीं होता या कोशिकाएं इंसुलिन पैदा करने में अक्षम हो चुकी हैं, उनका मधुमेह खत्म नहीं हो सकता है।