उत्तराखंड के बारह हजार पेंशनरों ने सरकारी हेल्थ स्कीम को छोड़ने का फैसला किया है। इस संबंध में स्टेट हेल्थ एजेंसी की ओर से विकल्प मांगे जाने के बाद पेंशनरों ने योजना से अलग होने का विकल्प चुना। राज्य सरकार ने सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए पिछले साल स्टेट हेल्थ स्कीम लॉन्च की थी। इस योजना के तहत मासिक प्रीमियम के आधार पर सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों को कैशलेस इलाज की सुविधा दी जा रही है।
कुछ पेंशनर इस योजना के तहत पर्याप्त सुविधा नहीं मिलने और बिना इजाजत के ही पेंशन से प्रीमियम काटने के खिलाफ हाईकोर्ट चले गए थे। इस पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पेंशनरों की पेंशन से प्रीमियम काटने पर रोक लगा दी थी। साथ ही सरकार को निर्देश दिए थे कि वो पेंशनरों को योजना से जुड़ने के संदर्भ में संभावित विकल्प दें।
इसपर स्टेट हेल्थ एजेंसी ने राज्य के सभी पेंशनरों को योजना से जुड़ने या हटने का विकल्प दिया। यह विकल्प चुनने के लिए 25 सितंबर की अंतिम तिथि तय की गई। इस संबंध में स्टेट हेल्थ एजेंसी के सीईओ और अपर सचिव अरुणेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि अभी तक करीब 12 हजार पेंशनरों ने योजना को छोड़ने का निर्णय लिया है। उन्होंने अपना विकल्प चुनकर एजेंसी को जानकारी दी है।
कोई विकल्प न चुनने वाले योजना में शामिल चौहान
स्वास्थ्य योजना के सीईओ अरुणेंद्र सिंह चौहान ने बुधवार को बताया कि पेंशनरों को आगामी 25 सितंबर तक विकल्प चुनने का समय दिया गया है। इस अवधि तक जो पेंशनर बाहर रहने का विकल्प चुनेंगे, उन्हें योजना में शामिल नहीं किया जाएगा। अलबत्ता जो पेंशनर कोई विकल्प नहीं चुनेंगे, उन्हें योजना में शामिल किया जाएगा। साथ ही उनकी पेंशन से प्रीमियम की कटौती की जाएगी।