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कपिसा में तालिबान को भारी नुकसान

काबुल. अफगानिस्तान के कपिसा प्रांत में तालिबान को भारी नुकसान उठाना पड़ा है क्योंकि देश के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह की अगुवाई में प्रतिरोधी बल ने विद्रोही समूह को करारा जवाब दिया. कपिसा प्रांत के संजन और बगलान के खोस्त वा फेरेंग जिले में तालिबान और प्रतिरोधी बलों के बीच झड़पें हो रही हैं. तालिबान के कई लड़ाकों के मारे जाने की खबर है, लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि होनी अभी बाकी है.

इस बीच, प्रतिरोधी बल तालिबान को पंजशीर प्रांत में कड़ी टक्कर दे रहे हैं, जिससे सुन्नी पश्तून समूह पीछे हटने के लिए मजबूर हो गया है. पंजशीर में तालिबान द्वारा संघर्ष विराम का उल्लंघन करने के बाद यह जवाबी हमला किया गया है.
पंजशीर एकमात्र ऐसा प्रांत है जिस पर तालिबान का कब्जा नहीं है. तालिबान ने इस महीने में मध्य में अमेरिकी बलों की वापसी के मद्देनजर अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जा कर लिया था. तालिबान के खिलाफ प्रतिरोधी बलों का जवाबी हमला आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट द्वारा काबुल हवाई अड्डे के पास किए गए विस्फोटों के कुछ दिनों बाद हुआ है जिसमें 150 से अधिक लोग और 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए थे.

हमलों के बाद सालेह ने दुनिया से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने को कहा. उन्होंने शुक्रवार को ट्वीट किया, “दुनिया को आतंकवाद के आगे नहीं झुकना चाहिए. आइए काबुल हवाई अड्डे को मानवता के अपमान और ‘नियम आधारित विश्व व्यवस्था’ की जगह न बनने दें. आइए हमारे सामूहिक प्रयास और ऊर्जा पर विश्वास करें. आतंकवादियों की तुलना में पराजयवादी मानसिकता आपको अधिक जोखिम में डालता है. मनोवैज्ञानिक रूप से मत मरो.”

उन्होंने इस्लामिक स्टेट से खुद को दूर करने के लिए तालिबान को भी निशाने पर लिया. सालेह ने कहा कि तालिबान ने अपने मालिक पाकिस्तान से आईएसआईएस के साथ अपने संबंधों से इनकार करना सीखा है.

अफगानिस्तान में इस्लामिक अमीरात बनाने को लेकर तालिबान के गुटों के बीच अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. अफगानिस्तान की रिपोर्टों के अनुसार, हक्कानी नेटवर्क ने आतंकवादी समूह के प्रमुख और तालिबान के उप नेता सिराजुद्दीन हक्कानी के भाई अनस हक्कानी के नेतृत्व में काबुल पर नियंत्रण कर लिया है. कहा जाता है कि सिराजुद्दीन हक्कानी क्वेटा से निर्देश दे रहा था.

इस बीच, मुल्ला उमर के बेटे और तालिबान सैन्य आयोग के प्रमुख मुल्ला याकूब के नेतृत्व वाले तालिबान गुट की नजर पश्तूनों की पारंपरिक सीट कंधार पर है. तालिबान नेता अब्दुल गनी बरादर 18 अगस्त को दोहा से आने के बाद मुल्ला याकूब से मिले. यहीं कंधार में मुल्ला याकूब के पिता को 4 अप्रैल, 1996 को अमीर उल मोमीन घोषित किया गया था. तालिबान के धार्मिक प्रमुख मुल्ला हैबतुल्ला अकुंजादा अब भी पाकिस्तान के कराची में रहता है.

हक्कानी नेटवर्क को इस्लामी आंदोलन की सबसे कट्टरपंथी और हिंसक शाखा के रूप में जाना जाता है. इसने पिछले 20 वर्षों में अफगानिस्तान में सबसे घातक हमलों को अंजाम दिया है. समूह का गठन जलालुद्दीन हक्कानी ने किया था, जो 1980 के दशक में सीआईए का बेहद खास था. बाद में उन्होंने तालिबान के साथ गठबंधन किया और 1996 से 2001 के बीच मंत्री के रूप में भी काम किया.