भारत ने चीन के उस दावे को खारिज कर दिया है, जिसमें उसने भारत-अमेरिका के बीच हो रहे सैन्य अभ्यास को पूर्व में हुए समझौतों के विरुद्ध करार दिया था। विदेश मंत्रालय ने कहा कि युद्धाभ्यास का पूर्व में हुए किसी समझौते से कोई लेना-देना नहीं है, बल्कि जिन समझौतों का चीन जिक्र कर रहा है, उनका वह खुद उल्लंघन करता आ रहा है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि औली में चल रहे भारत-अमेरिका सैन्य युद्धाभ्यास का 1993-96 में हुए भारत-चीन समझौतों से कोई संबंध नहीं है। चीनी पक्ष इन समझौतों के प्रावधानों का उल्लंघन करता आ रहा है। उसे इस बात पर विचार करना चाहिए कि वह क्यों इनका पालन नहीं कर रहा। बागची ने कहा कि भारत-अमेरिका का युद्धाभ्यास चल रहा है इसमें किसी तीसरे पक्ष को दखल देने का कोई अधिकार नहीं है। एक अन्य प्रश्न पर पेंटागन की रिपोर्ट को लेकर प्रवक्ता ने कहा कि भारत-अमेरिका संबंधों पर किसी तीसरे पक्ष को दखल देने का अधिकार नहीं है। दरअसल, पेंटागन की रिपोर्ट के अनुसार चीन ने भारत-अमेरिका के बढ़ते रिश्तों पर टिप्पणी की है। तथा इसमें पूर्वी लद्धाख के मुद्दे पर बातचीत में धीमी प्रगति का भी जिक्र है। बागची ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि बातचीत का फायदा हो। भारत एलएसी से सैनिकों की वापसी और तनाव घटाने के पक्ष में है। राजनयिक संबंधों की वर्षगांठ मनाई प्रवक्ता ने बताया, भारत और जर्मनी ने वर्ष2021 में अपने राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ मनाई है। इस वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छठे भारत-जर्मनी अंतर सरकारी सम्मेलन में हिस्सा लेने बर्लिन गए थे। इसके अलावा जी7 देशों की बैठक में सहभागी देश के रूप में शामिल हुआ था। इससे पूर्व गुरुवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत में जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन से मुलाकात की तथा द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की।
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