चीन में बढ़ते मामलों को देखते हुए अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी अपनी चिंता व्यक्त की है। डब्ल्यूएचओ (WHO) प्रमुख टेड्रॉस अधॉनम गेब्रेयेसस ने कहा कि वह चीन में तेजी से बढ़ते कोविड मामलों को लेकर बेहद चिंतित हैं। उन्होंने चीन से सबसे ज्यादा जोखिम में मौजूद लोगों के टीकाकरण की गति को बढ़ाने की भी अपील की है।

डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने जताई चिंता
डब्ल्यूएचओ प्रमुख गेब्रेयेसस ने अपने साप्ताहिक प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान चीन से कोविड की गंभीरता, अस्पताल में दाखिल हो रहे मरीजों की संख्या और इन्टेंसिव केयर की जरूरतों पर एक पूरी विस्तृत जानकारी देने की अपील की है। उन्होंने कहा कि चीन में बिगड़ते हालात को देखते हुए डब्ल्यूएचओ काफी चिंतित है। चीन में कोरोना की खबरें बढ़ती ही जा रही हैं।
गेब्रेयेसस ने ये भी कहा ‘डब्ल्यूएचओ देशभर में सबसे अधिक जोखिम वाले लोगों को वैक्सीन लगाने के प्रयासों पर फोकस करने के लिए चीन का साथ दे रहा है। इसके अलावा हम चीन को मेडिकल देखभाल व स्वास्थ्य प्रणाली की रक्षा प्रति समर्थन जारी रखेंगे।’
चीन में वर्ष 2020 से लागू जीरो कोविड पॉलिसी
बता दें कि चीन ने वर्ष 2020 से जीरो कोविड पॉलिसी लागू कर रखी थी, जिसे सरकार ने इसी साल दिसंबर की शुरूआत में बिना नोटिस जारी किए खत्म कर दिया था। चीन ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि जनता सरकार की जीरो कोविड पॉलिस से तंग आ गई थी और इससे आर्थिक स्थिती पर भी गहरा असर पड़ रहा था। जैसे ही चीन ने अपनी जीरो कोविड पॉलिसी को खत्म किया वैसे ही कोरोना के मामलों में तेजी आने लगी। इस समय चीन में बुज़ुर्गों पर जान का खतरा बना हुआ है और इनके मृत्य दर बढ़ने का डर भी पैदा हो गया है।
कोविड से होने वाली मौतों की गिनती नहीं होगी?
चीन के अधिकारियों ने 20 दिसंबर को कहा कि कोरोना के कारण सांस लेने में नाकामी से होने वाली मौतों को ही अब कोविड मौत के आकंड़ों के तहत गिना जाएगा। कोरोना से होने वाली मौतों को दर्ज करने के लिए मानदंड में इस बदलाव का मतलब यह है कि अब कोविड से होने वाली मौतों की गिनती नहीं की जाएगी।
चीन ने 21 दिसंबर को कहा कि 20 दिसंबर को कोरोना से किसी भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई थी। डब्ल्यूएचओ के आपातकालीन प्रमुख माइकल रयान ने टीकाकरण बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया है। साथ ही कहा है कि ‘हम हफ्तों से कह रहे हैं कि इस अत्यधिक संक्रामक वायरस को पूरी तरह रोकना बहुत मुश्किल है, अगर हम सिर्फ सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक उपाय ही अपनाते रहेंगे तो”।
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