दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को 13 दिसंबर को संसद सुरक्षा उल्लंघन मामले में गिरफ्तार महिला नीलम की याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया। नीलम ने अपनी याचिका में पुलिस रिमांड को गैर कानूनी बताया था। नीलम ने आरोप लगाया कि मुझे मेरा वकील चुनने की इजाज्त तक नहीं दी, जो ट्रायल कोर्ट की कार्रवाई में मेरा पक्ष रख सके। इस बात का जिक्र नीलम ने अपनी याचिका में किया।
न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा और शलिंदर कौर की अवकाश पीठ के समक्ष उनके वकील द्वारा तत्काल सुनवाई के लिए मामले का उल्लेख किया गया था, पीठ ने कहा कि मामले में कोई तत्काल सुनवाई नहीं होगी। पीठ ने कहा, “किसी भी स्थिति में इस पर तीन जनवरी को विचार किया जाएगा। कोई जल्दबाजी नहीं है।
वहीं, नीलम के वकील ने कहा कि उन्होंने अपने रिमांड आदेश को चुनौती दी है और पांच जनवरी को उनकी पुलिस हिरासत खत्म हो रही है। अनुरोध को ठुकराते हुए, अदालत ने जवाब दिया कि रिमांड समाप्त होने से पहले सुनवाई के लिए अभी भी पर्याप्त समय है।
पांच जनवरी तक पुलिस रिमांड
जानकारी के लिए बता दें कि 21 दिसंबर को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने संसद में हालिया सुरक्षा उल्लंघन को लेकर दिल्ली पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज यूएपीए मामले में चार आरोपियों को 15 दिनों की अतिरिक्त पुलिस हिरासत में भेज दिया था। सात दिनों की पुलिस हिरासत की अवधि समाप्त होने के बाद आरोपियों को अदालत में पेश किया गया था। पुलिस ने कोर्ट में कहा कि सात दिन में कई अहम सबूत मिले हैं।
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