राष्ट्रगीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में इस पर संसद में विशेष चर्चा रविवार से होनी है। लोकसभा में दस घंटे की चर्चा होगी जिसकी शुरूआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे और संभवत: समापन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे।
इसके लिए विपक्ष की भी सहमति होने से विरोध या हंगामे का प्रत्यक्ष कारण तो कोई नहीं है, लेकिन चर्चा में दोनों ही ओर से ऐसे बयान या शब्द सामने आ सकते हैं, जो शीतकालीन सत्र का पारा एक बार फिर चढ़ा दें। विशेष तौर पर प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रगीत को खंडित किए जाने के ऐतिहासिक तथ्य को दोहरा सकते हैं, जो विपक्ष को असहज और उद्वेलित कर सकता है।
विपक्ष किन मुद्दों पर करेगा बहस
इसी तरह विपक्ष की ओर से कुछ सांसदों के तीखे बोल सामने आने की आशंका है, क्योंकि राष्ट्रगीत के गायन को लेकर अक्सर विवाद सामने आता भी रहा है।माना जा रहा है कि इस चर्चा में कई अनजान तथ्य सामने आ सकते हैं। ध्यान रहे कि प्रधानमंत्री ने कुछ दिनों पहले इतिहास के पन्नो का हवाला देते हुए कहा था कि 1937 के कांग्रेस सम्मेलन में वंदे मातरम से भी छेड़छाड़ की गई थी और विभाजन के बीज बोए गए थे।
उन्होंने कहा था, “1937 में वंदे मातरम की आत्मा, इसके महत्वपूर्ण पद्य को अलग कर दिया गया। यह गीत खंडित हो गया। इसी विभाजन ने देश के विभाजन के बीज बोए। इस महान राष्ट्रीय मंत्र के साथ ऐसा अन्याय क्यों किया गया? आज की पीढ़ी को इस इतिहास को समझना होगा। यही विभाजनकारी मानसिकता आज भी राष्ट्र के लिए चुनौती बनी हुई है।”
दरअसल उन्होंने दुर्गा शब्द हटाए जाने की ओर इशारा किया था और बाद में भाजपा के कई नेताओं ने इसे पिछले दिनों राहुल गांधी की ओर से दिए गए उस बयान से जोड़ा था जिसमें ”शक्ति” से लड़ने की बात कही गई थी। सूत्रों की कहना है कि स्वतंत्रता आंदोलन के इस जीवन गीत को लेकर कई और तथ्य सामने आ सकते हैं जो विपक्ष के लिए असहज करने वाला होगा।
पीएम मोदी ने खड़े किए सवाल
वैसे भी हाल के दिनों में बाबरी मस्जिद को लेकर पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की मंशा को लेकर विवाद खड़ा है। कांग्रेस की ओर से सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा, लोकसभा में पार्टी के उपनेता गौरव गोगोई सहित करीब आठ वक्ताओं के चर्चा में शामिल होने की संभावना है। इसी तरह अन्य दलों के नेता भी अपने विचार रखेंगे।
तृणमूल कांग्रेस का रुख विशेष रूप से देखने योग्य होगा, क्योंकि राष्ट्रगीत की रचना का मूल संबंध बंगाल से है। वहां विधानसभा चुनाव होने हैं। टीएमसी से जुड़ा एक समुदाय वंदे मातरम का खुलकर विरोध करता है, जबकि आम बंगालवासियों से इसका भावनात्मक लगाव स्वाभाविक है। उल्लेखनीय है कि लोकसभा के बाद राज्यसभा में मंगलवार को वंदे मातरम पर चर्चा होनी है। वहां गृह मंत्री अमित शाह चर्चा की शुरुआत कर सकते हैं।
Fark India | National Hindi Magazine Hindi Magazine and Information Portal