गुरुग्राम नगर निगम की इंजीनियरिंग विंग में ठेकेदार से पांच लाख रुपये की रिश्वत लेकर गलत तरीके से बिल बनाने के मामले में निगमायुक्त मुकेश कुमार आहूजा ने निगम अधिकारी और ठेकेदार पर सख्त कार्रवाई की। निगमायुक्त ने निगम में आउटसोर्स पर लगे दो जूनियर इंजीनियर को नौकरी से निकाल दिया, जबकि एसडीओ व कार्यकारी अभियंता को चार्जशीट कर दिया। इसके अलावा गली निर्माण में घटिया निर्माण सामग्री का प्रयोग करने पर ठेकेदार से 30 लाख रुपये भी वसूले जाएंगे। निगमायुक्त ने गुरुवार को कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए।
बता दें कि ठेकेदार की शिकायत के बाद छह माह से निगम की विजिलेंस विंग द्वारा इस मामले की जांच की जा रही थी। विजिलेंस की जांच में सभी अधिकारी दोषी पाए। विजिलेंस की जांच रिपोर्ट के आधार पर ही अधिकारियों पर यह कार्रवाई की गई है। मामले का खुलासा होने के बाद निगम अधिकारियों में खलबली मच गई है। निगमायुक्त के कार्यकाल में यह पहला ऐसा मामला है, जिसमें निगमायुक्त ने अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की है। गली बनाने के नाम पर ली गई थी रिश्वत नगर निगम की तरफ से मार्च 2020 में वार्ड-30 के गांव ग्वाल पहाड़ी की फिरनी के रास्ते को पक्का करने के लिए इंटरलॉकिंग टाइल को लेकर 30 लाख रुपये का टेंडर लगाया था। टेंडर में उर्वी इन्फ्राटेक की एजेंसी ने 20 फीसदी कम में आवेदन किया। ठेकेदार ने जब आधे से ज्यादा काम कर दिया तो ग्रामीणों ने काम रुकवा दिया। काम छह माह बंद रहने के बाद दिसंबर 2020 में ठेकेदार ने काम पूरा कर दिया। अधिकारियों ने ठेकेदार का बिल नहीं बनाया।