मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने महिला आरक्षण को यथावत रखने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दायर करने की स्वीकृति दी है। मुख्यमंत्री ने महिला आरक्षण बनाए रखने के लिए अध्यादेश लाने की तैयारी की।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने महिला आरक्षण को यथावत रखने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दायर करने की स्वीकृति दी है। साथ ही मुख्यमंत्री ने महिला आरक्षण बनाए रखने के लिए अध्यादेश लाने की तैयारी करने के भी निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट ने 24 अगस्त को उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की परीक्षा में आरक्षण दिए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए आरक्षण पर रोक लगाई थी।
हरियाणा और उत्तर प्रदेश की महिला अभ्यर्थियों ने नैनीताल उच्च न्यायालय में याचिका दायर उत्तराखंड मूल की महिलाओं को आरक्षण देने का विरोध किया था। उन्होंने कहा कि राज्य लोक सेवा आयोग ने डिप्टी कलेक्टर समेत अन्य पदों के लिए हुई उत्तराखंड सम्मिलित सिविल अधीनस्थ सेवा परीक्षा में स्थानीय महिलाओं को अनारक्षित
श्रेणी में 30 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। इससे वह आयोग की परीक्षा से बाहर हो गई हैं। हाईकोर्ट के आदेश के बाद से ही सरकार से महिला आरक्षण के लिए ठोस व्यवस्था की मांग की जा रही थी। सीएम ने अधिकारियों से सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श के बाद शुक्रवार शाम हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करने की मंजूरी दे दी।
आरक्षण की व्यवस्था को तत्काल ठोस आधार देने के लिए सरकार अध्यादेश भी लाने जा रही है। अध्यादेश के लागू होते ही महिला आरक्षण अनंतिम रूप से कानून का रूप ले लेगा। फिर छह माह के भीतर विधानसभा सत्र में सरकार इसे विधेयक के रूप में पारित करा सकती है।
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