अफसरों की लापरवाही से केंद्र में यूपी का 15वें वित्त आयोग का करीब 3000 करोड़ रुपये फंस गया है। इसको लेकर स्थानीय निकाय निदेशालय ने नाराजगी जताई है। स्थानीय निकाय की उप निदेशक रश्मि सिंह ने इस संबंध में सभी निकायों को कड़ा पत्र लिखते हुए कहा है कि 30 नवंबर तक पूरी रिपोर्ट पोर्टल पर फीड कर दें, जिससे केंद्र से रुका हुआ पैसा मिल सके। उन्होंने कहा है कि आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय केंद्र सरकार ने इस संबंध में राजय सरकार को पत्र भी भेजा है। इसमें कहा गया है कि 10 लाख से अधिक आबादी वाले और इससे कम वाले आबादी वाले शहरों को 15वें वित्त आयोग की संस्तुतियों के आधार पर सिटी फाइनेंस पोर्टल पर सर्विस लेवल इंडीकेटर्स संबंधी सूचना अपलोड करना है।
इसमें निकायवार उपभोग प्रमाण पत्र, वार्षिक लेखाजोखा, गृहकर अधिसूचना और उसकी उपविधि, सर्विस लेवल इंडीकेटर्स यानी शहरी लोगों की सुविधाओं के लिए अब तक क्या-क्या किया गया है। इसकी पूरी जानकारी ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड करना है। इसके बाद ही केंद्र सरकार द्वारा 15वें वित्त आयोग का बचा हुआ पैसा राज्य सरकार को देगा। एक विभागीय अधिकारी के मुताबिक यूपी को करीब 3000 करोड़ रुपये 15वें वित्त आयोग का मिलना है।
ये होने हैं काम
दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए काम कराया जाना है। इसके साथ ही जरूरत के आधार पर 24 घंटे शुद्ध पेयजल की आपूर्ति शहरों में किया जाना है। सीवरेज व्यवस्था ठीक कराने के लिए सभी घरों में इसका कनेक्शन अनिवार्य रूप से दिया जाएगा।
छोटे शहरों में सुधरेगी व्यवस्था
दस लाख से कम आबादी वाले शहरों में अभी तक सीवरेज की व्यवस्था ठीक नहीं है। इसीलिए 15वें वित्त आयेाग के पैसे से इसे सुधारा जाएगा। इसके साथ जरूरत के आधार पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाएगा।