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नोएडा में बनी खांसी की दवाई से उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत का मामला आया सामने, जानें ..

भारतीय फार्मास्यूटिकल फर्म की कफ सीरप के सेवन से उज्बेकिस्तान के 18 बच्चों की मौत के मामले के बाद जिला औषधि विभाग सक्रिय हुआ है। केंद्रीय औषधि विभाग की टीम ने जिला औषधि विभाग के साथ मिलकर सेक्टर-67 स्थित भारतीय दवा फर्म मैरियन बायोटेक लिमिटेड द्वारा निर्मित डाक 1-मैक्स कफ सिरप का नमूना लेकर जांच के लिए भेजा गया है।

औषधि विभाग की टीम ने लिए नमूने

औषधि निरीक्षक वैभव बब्बर ने बताया कि 27 दिसंबर को केंद्रीय टीम के साथ मेरठ मंडल के खाद एवं औषधि निरीक्षक के साथ संयुक्त कार्रवाई में संबंधित दवा का नमूना लिया गया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्र

नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के अधिकारी, मेरठ मंडल के खाद्य एवं औषधि निरीक्षक के संयुक्त निदेशक के साथ जिला औषधि विभाग की टीम ने संबंधित दवा कंपनी पहुंचकर नमूने लेने का काम किया है।

रिपोर्ट के मुताबिक करेंगे कार्रवाई

उज्बेकिस्तान में सिरप से होने वाली मौतों पर मैरियन बायोटेक फार्मा कंपनी के कानूनी प्रमुख हसन रजा ने कहा, “मौतों पर हमें खेद है, सरकार जांच करा रही है। रिपोर्ट के मुताबिक हम कार्रवाई करेंगे। नमूने एकत्र किए गए। उस उत्पाद का निर्माण फिलहाल रोक दिया गया है और अन्य प्रक्रियाएं चल रही हैं।”

अधिकारी ने किया कंपनी का निरीक्षण 

चार टीमों के संयुक्त अधिकारी ने कंपनी का निरीक्षण किया। जिस दवा को बाहर आपूर्ति की गई है। उस दवा का नमूना लिया गया है। इस सैंपल को सेंट्रल ड्रग्स रेग्युलेट्री को भेज दिया गया है। वहां से इनको लैब भेजा गया है। वहां से रिपोर्ट आने का इंतजार है।

रिपोर्ट आने के बाद ही कार्रवाई की जाएगी। मामले की जांच जारी है। दवा मई 2021 की बनी हुई है। जिसकी एक्सपाइरी डेट वर्ष-2024 के अप्रैल तक है। जांच में सामने आया है कि कंपनी को बाहर दवा आपूर्ति करने की अनुमित प्राप्त है। यह अनुमित केंद्र सरकार से प्राप्त है।

इस दवा की देश में सप्लाई नहीं है। इसे एक्सपोर्ट किया गया था। इसका एक स्लाट मई 2021 में उज्बेकिस्तान भेजा गया था। इस मामले में सेंट्रल ड्रग्स रेग्युलेट्री टीम से जांच के लिए कहा गया था। उज्बेकिस्तान की मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ओवरडोज (अत्याधिक मात्रा में दवा का सेवन) और बिना प्रिस्क्रिप्शन (बिना डाक्टर की सलाह) दवा का सेवन करने के कारण बच्चों की मौत हुई है।

जांच मिलेगी रिपोर्ट 

प्राथमिक जांच में कोई अनियमितता नहीं है। जांच रिपोर्ट जल्द ही प्राप्त होने की उम्मीद है। इसके बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। जांच में सामने आया है कि गांबिया में पिछले दिनों दवा का सेवन करने के कारण बच्चों की हुई मौत के मामले में हरियाणा की जिस भारतीय फार्मास्यूटिकल फर्म ने दिल्ली के ट्रेडर से रा मेटेरियल लिया था। नोएडा स्थित संबंधित दवा कंपनी ने भी दिल्ली के ट्रेडर से रा मेटेरियल लिया है। वह सैंपल जांच में पास हो गया था।

सेक्टर-67 स्थित दवा कंपनी के मालिक जैन नामक व्यक्ति है। चूंकि भारतीय सिरप के सेवन से संबंधित मामले में कई शिकायत आ रही है। इसलिए कंपनी में निर्माणाधीन दवा के सेवन में इस्तेमाल रा मेटेरियल की जांच की जाएगी। रा मेटेरियल बनाने वाली कंपनी का भी निरीक्षण किया जाएगा।

दवा में इस्तेमाल रा मेटेरिया ज्यादातर चीन से आता है। निरीक्षण के दौरान रा मेटेरियल में कुछ भी गड़बड़ मिलने पर संबंधित दवा कंपनी और रा मेटेरियल बनाने वाली कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। यह इस तरह का पहला मामला है। जिले में एलोपैथिक दवा निर्माण कंपनी की संख्या 13 व होम्योपैथिक दवा निर्माता कंपनी दो हैं।

देश में नहीं है संबंधित सिरप की सप्लाई

ड्रग इंस्पेक्टर ने बताया कि प्राथमिक जांच में सामने आया कि इस सीरप की सप्लाई भारत में नहीं की जाती है। इस स्लाट को मई 2021 में सिर्फ उज्बेकिस्तान भेजा गया था। उज्बेकिस्तान की मीडिया के मुताबिक, लैब टेस्ट के दौरान इस कफ सीरप में केमिकल इथाइलीन ग्लाइकाल पाया गया।

इसी केमिकल के पाए जाने के बाद हरियाणा की मेडेन फार्मा के खिलाफ जांच की गई, जिसे गाम्बिया में 70 बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार बताया गया था। हालांकि, जांच के बाद भारत सरकार ने डब्ल्यूएचओ को बताया है कि कंपनी से लिए गए सभी सैंपल जांच में सही पाए गए हैं।