बागेश्वर बालाजी धाम के पीठाधीश पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री शनिवार सुबह 8.00 बजे पटना एयरपोर्ट पहुंचे, जहां उनका जोरदार स्वागत किया गया। धीरेंद्र शास्त्री की झलक पाने के लिए लोग आतुर दिखे।
पटना एयरपोर्ट पर बागेश्वर बाबा ने भोजपुरी में बोलकर लोगों से कनेक्ट करने की कोशिश की। पूछा- सब ठीक बा रौआ? (आपलोगों का क्या हा है? यह भी कहा कि बिहार आकर बहुत आनंद आ रहा है। उन्होंने राजनीतिक बयानबाजी से परहेज किया।
डीएम बोले-हमारा प्रयास शांति से संपन्न हो जाए कार्यक्रम
पं धीरेंद्र शास्त्री के कार्यक्रम पर जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि प्रशासन श्रद्धालुओं की सुरक्षा और विधि व्यवस्था के लिए अलर्ट है। कार्यक्रम स्थल से लेकर होटल तक सुरक्षा व्यवस्था की गई है। हमारा यही प्रयास है कि बागेश्वर बाबा का कार्यक्रम शांति से संपन्न हो जाए।
दिल में बसता है बिहार, अब यहां बहार आएगी
धीरेंद्र शास्त्री ने पटना एयरपोर्ट पर कहा कि बिहार हमारी आत्मा है और यह हमारे दिल में बसता है। सच बोलें तो बिहार के लोगों जैसा ह्रदय कहीं के लोगों का नहीं होता है। बिहार में अब बहार आएगी।
यह पूछने पर कि आप यहां हिंदू-मुस्लिम करेंगे तो आपका विरोध किया जाएगा, उन्होंने कहा कि वे हिंदू-मुस्लिम नहीं, बल्कि हिंदू-हिंदू करने वाले लोग है साहब। राजनेता नहीं है। हनुमत कथा सनातन धर्म की बात कहती है और हम उसकी ही बात करते हैं।
आगवानी करने गिरिराज सिंह और रामकृपाल यादव भी पहुंचे
बाबा सुबह आठ बजे पटना एयरपोर्ट पहुंचे। भाजपा सांसद मनोज तिवारी और राम कृपाल यादव, गिरिराज सिंह उनके साथ दिखे। वहां उन्होंने स्वागत करने वाली भीड़ को कहा- बिहार हमार बा…रउआ सब ठीक बानी ना…।’ हिंदू राष्ट्र के सवाल पर कहा कि वे राजनेता नहीं हैं।
पटना आने से पहले उन्होंने अपने एक वीडियो ट्वीट लोगों को परिवार के साथ हनुमंत कथा में सादर आमंत्रित किया।
बता दें कि पटना एयरपोर्ट पर बागेश्वर बाबा के साथ सांसद और भोजपुरी गायक मनोज तिवारी थे। मनोज तिवारी खुद धीरेंद्र शास्त्री को गाड़ी ड्राइव कर होटल ले गए।
धीरेंद्र शास्त्री होटल में नाश्ता और विश्राम के बाद करीब 26 किलोमीटर दूर नौबतपुर के तरेत पाली वैष्णव पीठ प्रांगण में हनुमत कथा के लिए जाएंगे। यह वैष्णव पीठ 1833 से संचालित है। जिसके प्रधान स्वामी सुदर्शनाचार्य उर्फ सुमिरन बाबा है।
यहां वेद, संस्कृत, व्याकरण और आयुर्वेद की शिक्षा प्राचीन काल से दी जाती है। प्राचीन गुरुकुल पंरपरा के तहत यहां शिक्षा दी जाती है। कृषि, पशुधन सेवा यहां की विशेषता है।