श्रद्धांजलि सभा में रीताकृष्ण मोहन के साथ मौजूद रहें वरिष्ठ पत्रकार एंव संपादक
लखनऊ । राष्ट्रीय हिंदी मासिक पत्रिका फर्क इंडिया एंव फर्क इंडिया न्यूज चैनल के संस्थापक रहें वरिष्ठ पत्रकार स्मृति शेष अखिलेश कृष्ण मोहन की द्वितीय पुण्यतिथि 13 मई 2023 को उनके निजी निवास लखनऊ केंद्रीय भवन अलीगंज में समपन्न हुई ।

श्रद्धांजलि सभा का आयोजन अपराह्न 4 बजें से प्रारंभ किया गया था जिसमें लखनऊ के तमाम संपादक एंव वरिष्ठ पत्रकारों ने श्री मोहन के निष्पक्षता एंव निडरता को याद करते हुए पत्रकारिता के उस जीवंत युग का अंत बताया जो सीमित संसाधनों में भी कभी अपने हौसले को खोया नहीं लेकिन बीते वर्ष कोरोना काल के चपेटे में आए वरिष्ठ संपादक श्री मोहन कोविड की जंग को लड़ते हुए जंग को हार गयें और उसी दिन बेटे के निधन की खबर को सुन कर श्री मोहन की मां पार्वती देवी का भी सदमें से निधन हो गया ।

आज फर्क इंडिया की विरासत को सजोए हुए आगें बढ़ने के लिए संकल्पित अखिलेश कृष्ण मोहन की पत्नी रीता कृष्ण मोहन तमाम झंझावात दुखों को झेलते हुए आगे बढ़ रही हैं आज द्वितीय पुण्यतिथि पर श्री मोहन को याद करते हुए वरिष्ठ पत्रकार राज वीर सिंह ने कहा कि आज के दौर में पत्रकार नाम के आगे लिखना आसान हैं मगर इस क्षेत्र में ऐशोआराम की बात नहीं होती यहां हमेशा संघर्षों से जूझती पत्रकारिता होती हैं अधिकांश के नसीब में नहीं होते…सुबह से कब रात हुई और कब फिर सुबह, खबरों की दौड़ भाग में पता नहीं लगता ! पारिवारिक दायित्वों की संपूर्ण पूर्ति कर पाना एक पत्रकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं ! उसके माँ-बाप, बीवी-बच्चों अथवा अन्य परिजनों का जिस समय पर अधिकार होता है, वह समय तो खबरों की खोज में निकलता है !

वहीं वरिष्ठ पत्रकार चंन्द्र भान यादव ने अखिलेश कृष्ण मोहन को श्रद्धांजलि अर्पित कर याद करते हुए श्रद्धांजलि सभा में कहा कि तमाम झंझावातों को झेलते हुए खबरों की खोज और फिर ऑडियो-वीडियो अथवा लिखित रूप में उसके प्रस्तुतिकरण में अपनी समय व्यतीत कर बहुत हीं संघर्ष के दम पर श्री मोहन फर्क इंडिया को इतनी ऊचाईयों पर पहुचाने का काम किए थें आज उनके कार्यों का कोई मोल नहीं हैं इसे जींवत कभी भुलाया भी नहीं जा सकता एक सच्चे पत्रकार के तमाम राजनैतिक दुश्मन भी हो जाते हैं जो अपने वसूलों से समझौता नहीं करता वहीं कितनी ही रंजिशें मिलती हैं उसे सौगात में..! गाड़ी-बंगला और हाई क्लास लाइफ स्टाइल को तो भूल ही जाईये, पत्रकारों का एक बड़ा वर्ग रोटी-कपड़ा-मकान जैसी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति सुनिश्चित करने को जद्दोजहद करता रहता है ! उम्र ढलती जाती है, ज़िम्मेदारियाँ और समस्याएं बढ़ती जाती हैं…और अस्त-व्यस्त जीवनशैली के कारण इस पेशे के संग सौगात के रूप में जुड़ी तमाम पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ समस्याएं भी बढ़ती चली जाती हैं हर उस समस्या का समाधान एंव निदान अखिलेश कृष्ण मोहन जी के पास रहता था जो कठिन से कठिन समय में भी अपने जज्बे के साथ लड़ने का प्रयास करते रहें लेकिन दुर्भाग्य रहा कि एक ऐसी महामारी ने कलम के योद्धा को अपनी चपेट में ले लिया ।

कोरोना काल पत्रकारों के लिए मानों खतरे की घँटी बजा चुका था कई वरिष्ठ पत्रकारों का निधन इस कोरोना काल में हो गया। खैर राष्ट्रीय पत्रिका फर्क इंडिया के संपादक वरिष्ठ पत्रकार स्मृति शेष अखिलेश कृष्ण मोहन जी ने अपने पत्रकारिता काल में ईमानदारी और हाशिए पर रहने वाले समाज के साथ लगातार मुखर होकर पत्रकारिता की थी और आज भी फर्क इंडिया उन्हीं के दिखाए रास्ते पर चल कर उसी मंजिल की तरफ बढ़ रहीं हैं आज के इस समय में नयी चुनौतियाँ कम तो नहीं होगी लेकिन चुनौतियों से जूझती पत्रिका की पहचान में फर्क इंडिया का नाम जरूर दर्ज रहता हैं ।
- इस अवसर पर लाल जी निर्मल एम0एल0सी0 व चेयरमैन, वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप विश्वकर्मा, मनोज मिश्रा, काशी यादव, आशीष मिश्रा, चंद्रभान यादव, डॉ0मुलायम सिंह, जितेंद्र यादव, राजेन्द्र गौतम, सुनील दिवाकर, डॉ0टी0आर0यादव,लाल चंद्र, सुनील यादव, डॉ0दिलीप यादव, डॉ0राजेश कुमार , अमरीश शुक्ल, आकाश शेखर, शेखर पण्डित , आर0आर0यादव,लाल चंद नीरज पटेल आदि उपस्थित रहे।
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