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मध्यप्रदेश: उप्र में सत्ता पा चुकीं SP-BSP मप्र में नहीं जमा सकीं पैर

सपा और समाजवादी पार्टी ने मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों में भी भाग्य आजमाने का  प्रयास किया। परंतु उसे आरंभ में सफलता जरूर मिली, परंतु धीर-धीरे बसपा और समाजवादी पार्टी का प्रभाव कम होता गया। पड़ोसी प्रदेश उत्तरप्रदेश की दो पार्टियां मध्यप्रदेश में अपना भाग्य आजमा रही हैं। हालांकि अब तक के चुनावों में इन दोनों राजनीतिक दलों को कोई विशेष लाभ नहीं हो पाया। एक या दो अवसरों पर इन दोनों दलों ने कुछ स्थानों पर विजय प्राप्त कर वोट प्रतिशत भी अच्छा प्राप्त किया था, पर यह प्रदर्शन कायम नहीं रख पाईं। बहुजन समाज पार्टी का गठन 14 अप्रैल अम्बेडकर जयंती वर्ष 1984 को हुआ था। बसपा ने उत्तरप्रदेश में अपना वर्चस्व कायम किया और राज्य की सत्ता में काबिज रही। वर्ष 2001 से बसपा की कमान मायावती के हाथों में है। सपा का गठन 4 अक्टूबर 1992 को मुलायमसिंह यादव द्वारा किया था। यह दल भी उत्तरप्रदेश में सत्ता में काबिज रहा। वर्ष 2012 से अखिलेश यादव सपा की कमान संभाल रहे हैं। रोचक जानकारी 
  • 1990 में देवतालाब और पामगढ़ से बसपा के उम्मीदवार विजय रहे थे, जो क्रमश: 1155 और 341 मतों से जीते थे।
  • बसपा के पहले विधायक देवतालाब से जयकरन साकेत और पामगढ़ से दाऊराम चुने गए थे।
  • वर्ष 1998 में सपा के रौन से रसलसिंह, दतिया से राजेंद्र भारती, चंदला से कुंवर विजय बहादुर बुंदेला और पवई से अशोकवीर विक्रम सिंह विजय रहे थे। रसलसिंह 671 और अशोकवीर विक्रमसिंह 857 मतों से विजय रहे थे।
  • 2018 के चुनाव में सपा के बिजवार से राकेश शुक्ला, वहीं बसपा से भिंड से संजीवसिंह और पथरिया से रामबाई गोविंदसिंह विजयी रहे थे।