Wednesday , December 27 2023

इस्राइल के गाजा पर हमले से आलोचकों के निशाने पर आए बाइडन

इस्राइल हमास के बीच जारी युद्ध में हो रही हिंसा और मौतों को लेकर अब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन भी आलोचकों के निशाने पर आ गए हैं। दरअसल कई उदारवादी समूह, मुस्लिम समुदाय और अरब अमेरिकी लोग बाइडन के विरोध में स्वर तेज कर रहे हैं। दरअसल बाइडन खुलकर इस्राइल का समर्थन कर रहे हैं, यही वजह है कि बड़ी संख्या में अमेरिका में लोग जो बाइडन की आलोचना करने लगे हैं। अब आलोचना का दबाव कहें या घरेलू राजनीति, जो बाइडन ने भी गाजा पट्टी में मानवीय मदद के लिए कुछ समय के लिए लड़ाई रोकने की अपील की है।                      

बाइडन ने की थोड़े समय के लिए युद्ध विराम की अपील बाइडन ने इस्राइल और हमास से अपील की है कि बंधकों की रिहाई और गाजा पट्टी में मानवीय मदद के लिए दोनों पक्ष कुछ समय के लिए लड़ाई रोकें। हालांकि बाइडन ने पूर्ण सीजफायर की बात नहीं की। बाइडन ने कहा कि ‘मुझे लगता है कि थोड़ा रुकने की जरूरत है। मतलब बंधकों की रिहाई के लिए थोड़ा समय देने की आवश्यकता है।’ बाइडन ने मिस्त्र द्वारा राफाह क्रॉसिंग खोलने और उससे घायलों और विदेशी नागरिकों की निकालने की इजाजत देने का श्रेय भी लिया। बता दें कि मिस्त्र ने बुधवार को गाजा पट्टी की सीमा पर मौजूद राफाह क्रॉसिंग को खोल दिया, जहां से कुछ अमेरिकी नागरिक और गंभीर रूप से घायल लोगों को मिस्त्र जाने की इजाजत दी गई।                  

जो बाइडन को झेलना पड़ रहा विरोध बता दें कि इस्राइल हमास की लड़ाई लंबी खिंचने के बाद अमेरिका में राष्ट्रपति जो बाइडन को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में अमेरिका के मिनेसोटा में फंड जुटाने के लिए एक राजनीतिक कार्यक्रम हुआ, जिसमें राष्ट्रपति जो बाइडन को विरोध का सामना करना पड़ा। कार्यक्रम में कई लोगों ने इस्राइल का खुलकर समर्थन के लिए बाइडन के खिलाफ विरोध किया। बाइडन ने भी स्वीकार किया और अपने संबोधन में कहा कि ‘मैं लोगों की भावनाओं को समझ सकता हूं, यह इस्राइल के लिए बेहद मुश्किल है और मुस्लिम दुनिया के लिए भी उतना ही मुश्किल है।’               

बाइडन ने कहा कि वह इस्राइल और फलस्तीन के लिए दो देशों के समाधान का समर्थन करते हैं लेकिन वह इस्राइल के बर्बर आतंकी हमले का जवाब देने का भी समर्थन करते हैं, जिसमें इस्राइल के 1400 नागरिकों की मौत हो गई। वहीं इस्राइल के जवाबी हमले में अब तक 9 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।