उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद ने प्रदेश में साहसिक पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए थल, जल और वायु क्रीड़ा विशेषज्ञों की योग्यता में संशोधन किया है। इन विशेषज्ञों की नियुक्ति संविदा पर की जाएगी।
कांग्रेस विधायक भुवन चंद्र कापड़ी की ओर से उठाए गए सवाल के जवाब में पर्यटन मंत्री ने कहा कि थल क्रीड़ा विशेषज्ञ पद के लिए एक पर्वत का सफलतापूर्वक आरोहण 8000 मीटर ऊंचाई के स्थान पर 6000 मीटर निर्धारित किया गया है। इसके अलावा मान्यता प्राप्त संस्थान से स्कीइंग में बेसिक, इंटरमीडिएट, एडवांस कोर्स, एमओआई क्वालीफाइड या स्कीइंग की एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में प्रतिभा करने के साथ जल क्रीड़ा गतिविधियों के कार्य करने संबंधी पांच वर्ष का अनुभव होना अनिवार्य है।
जल क्रीड़ा गतिविधियों का 5 वर्ष का अनुभव जरूरी
उन्होंने बताया कि जल क्रीड़ा विशेषज्ञ की शैक्षिक योग्यता स्नातक के साथ जल क्रीड़ा में बेसिक कोर्स, इंटरमीडिएट, एडवांस्ड कोर्स और क्याकिंग, रोइंग, कनोईंग, सेलिंग राफ्टिंग में राष्ट्रीय स्तर की किसी एक प्रतियोगिता में प्रतिभा के साथ जल क्रीड़ा गतिविधियों का 5 वर्ष का अनुभव होना आवश्यक है।
इसी तरह वायु क्रीड़ा विशेषज्ञ की योग्यता अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार पायलट रैंकिंग प्राप्त होने के अलावा वायु क्रीड़ा में पैराग्लाइडिंग व 35 किलोमीटर एक्स कंट्री उत्तीर्ण होना चाहिए। इसके अलावा पैरामोटर, हैंगग्लाइडिंग, माइक्रो लाइट, बलूनिंग एवं स्काई डाइविंग में से किसी एक में मान्यता प्राप्त संस्थान से प्रशिक्षण और वायु क्रीड़ा गतिविधियों के संचालन में 5 वर्ष का अनुभव जरूरी है।
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