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हरियाणा: बारिश और ओलावृष्टि से पहुंचा भारी नुकसान, सड़ने लगी सब्जियां

ओलावृष्टि और बारिश से किसानों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है। सोमवार को भी खेतों में पानी भरा नजर आया। असंध, निसिंग आदि कई क्षेत्रों की फसलें पानी में डूबी हैं। सब्जियां सड़क खराब हो गई हैं। किसान फसलों को बचाने के लिए जलनिकासी की व्यवस्था के साथ-साथ डूबी फसलों की छंटनी करने में जुटे दिखाई दिए। कृषि विभाग के तत्कालिक सर्वे के अनुसार गेहूं की फसल में 15 से 20 प्रतिशत, सरसों में 50 तो सब्जियों में 40 से 50 प्रतिशत तक का नुकसान बताया जा रहा है।

विभाग ने किसानों से शीघ्रता से जलनिकासी करने को कहा है, साथ ही नुकसान को गिरदावरी में शामिल करने और फसली नुकसान को क्षतिपूर्ति पोर्टल पर पंजीकृत कराने को कहा है। वहीं भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने किसानों को एडवाइजरी जारी करके सिंचाई प्रबंधन पर खास ध्यान देने, चेपा व पीला रतुआ आदि रोगों के प्रति सतर्क रहते हुए निगरानी रखने को कहा है।

उपनिदेशक (कृषि) डॉ. वजीर सिंह ने बताया कि पहले से ही फसलों की गिरदावरी चल रही है, जिसमें इस फसली नुकसान को भी शामिल कर लिया गया है। किसानों को यथाशीघ्र क्षतिपूर्ति पोर्टल पर नुकसान का पंजीकरण करा देना चाहिए। जो गेहूं गिरा है, यदि जलभराव खत्म हो जाता है तो उसकी रिकवरी अभी हो जाएगी, जिससे नुकसान कम हो जाएगा। इधर, जिला बागवानी अधिकारी डॉ. मदन लाल ने बताया कि किसानों को चाहिए, ओलावृष्टि व बारिश का जल भरने से निश्चित तौर पर सब्जियों को नुकसान हुआ है, लेकिन शीघ्रता से किसानों को जल निकासी करनी चाहिए।

आईआईडब्ल्यूबीआर ने जारी की एडवाइजरी
भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान (आईआईडब्ल्यूबीआर) करनाल के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है। जिसमें सिंचाई प्रबंधन पर खास जोर दिया गया है। देश के अधिकांश हिस्सों में 15 मार्च तक तापमान सामान्य से नीचे रहने की संभावना है, लेकिन मध्य से अंत तक तापमान बढ़ सकता है। जिसके लिए सिंचाई और कीटों से बचाव के तरीके सुझाए गए हैं।

वैज्ञानिकों का कहना है कि मार्च के दूसरे व तीसरे सप्ताह में किसानों को गेहूं की फसल में जरूरत के अनुसार सिंचाई की सलाह दी गई है। तेज हवा वाले मौसम की स्थिति में लोजिंग (गिरने) की स्थिति से बचने के लिए सिंचाई न करें, ताकि फसल को नुकसान से बचाया जा सके। मार्च के मध्य से अंत तक तापमान बढ़ने की स्थिति में फसलों को सूखे की स्थिति से बचाने के लिए और तनाव को कम करने के लिए उपाय करें। पहले तो 0.2 प्रतिशत म्यूरेट ऑफ पोटाश (प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में 400 ग्राम एमओपी घोले या फिर दो प्रतिशत केएनओ 3 (प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में 4.0 किलोग्राम) दो बार बूट लीफ और एंथेसिस चरण के बाद स्प्रे कर सकते हैं।

कीट (एफिड) के लिए सलाह : गेहूं की पत्ती में माहूं (चेपा) की निरंतर निगरानी रखें। पत्ती कीट का अधिक प्रकोप (ईटीएल:10-15 एफिड/टिलर) होने पर किसानों को क्विनालफॉस 25 प्रतिशत ईसी का उपयोग कर सकते हैं। 400 मिली क्विनालफॉस को 200-250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें।

पीला रतुआ: पीला रतुआ के लिए किसान गेहूं की फसल का नियमित निरीक्षण करते रहें। पंजाब के कुछ गांवों में धारीदार जंग की सूचना मिल रही है। यदि किसान अपने गेहूं के खेतों में पीला रतुआ का प्रकोप देखें तो प्रीपीकोनॉडोल 25ईसी का एक छिड़काव एक लीटर पानी में एक मिली रसायन मिलाकर करना चाहिए। एक एकड़ गेहूं की फसल में 200 मिली कवकनाशी को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।

गुल्लरपुर में सड़ने लगे 500 एकड़ खेत के टमाटर
बारिश,ओलावृष्टि व अंधड़ ने गुल्लरपुर गांव के किसानों की करीब 500 एकड़ जमीन में लहलहाती टमाटर की फसल को तबाह कर दिया है। ये गांव करीब 40 वर्षों से अपनी टमाटर की खेती के लिए पहचाना जाता है।

बुजुर्गों के अनुसार गुल्लरपुर गांव में कुल जमीन 1000 एकड़ के करीब है। जिनमें से 450 से 500 एकड़ के करीब टमाटर उत्पादन किया जाता है। यहां से हरियाणा, यूपी व पंजाब के कई क्षेत्रों को टमाटर जाता है। शनिवार को हुई बारिश, ओलावृष्टि से टमाटर को भारी नुकसान हुआ है। तीसरे दिन सोमवार को भी खेतों में जलभराव है, जिससे लाल टमाटर सड़ने लगे हैं। बड़ी संख्या में श्रमिक लगवाकर टमाटर की छंटनी कराई जा रही है, लेकिन रकबा अधिक होने के कारण सभी खराब टमाटरों और पानी को निकालना संभव नहीं हो पा रहा है।

अच्छा भाव मिलने की थी उम्मीद
किसान संजीव का कहना है कि अबकी बार टमाटर का भाव अच्छा था। 500 से 600 रुपए प्रति क्रेट मंडी बाजार में बिक रही थी। कई वर्षों के पश्चात बाजार में ऐसा रेट मिला था, लेकिन शायद भगवान को हमारी ये खुशी पसंद नहीं आई। मुझे टमाटर की खेती करते हुए करीब 25 वर्ष हो चुके हैं। अबकी बार बे मौसमी ओलावृष्टि व बारिश पहली बार होने से टमाटर की फसल तबाह हुई है।

किसानों के सपने चकनाचूर
किसान लखपत ने बताया कि बेमौसमी बारिश व ओलावृष्टि के कारण किसानों के सपनों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। ओलावृष्टि व अधिक बारिश होने के कारण टमाटरों में दाग-धब्बे लगने शुरू हो गए हैं। टमाटर के पौधे ओलावृष्टि के कारण टूटकर जमीन पर बिखर गए हैं। इसके अलावा पौधे सड़ने भी लगे हैं। ऐसे में किसानों के लिए बचे हुए टमाटर से बाजार में उचित मूल्य भी नहीं मिलने की संभावना जताई।

बेहतर पैदावार की थी उम्मीद
प्रेम खेड़ा के किसान व नंबरदार नरेंद्र कुमार का कहना है कि अबकी बार किसानों की फसल खेतों में अच्छी खड़ी थी। किसानों में अच्छी फसल पैदावार की संभावना जताई जा रही थी कि मौसम अनुकूल रहने के कारण अबकी बार पैदावार बेहतर होगी, लेकिन खुशी बरकरार नहीं रह सकी। चार माह से बच्चों की तरह फसल को पालकर कर तैयार किया था, लेकिन फसल बारिश वह ओलावृष्टि की भेंट चढ़ गई।