उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद में क्रौंच पर्वत पर स्थित कार्तिकेय स्वामी मंदिर में आगामी 15 मई को भव्य 108 बालमपुरी शंख पूजा व हवन कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।
पर्यटन विकास परिषद, जिला प्रशासन एवं मंदिर समिति के संयुक्त तत्वावधान में होने वाले कार्यक्रम को दिव्यता एवं भव्यता के साथ आयोजित करने के लिए की जाने वाली तैयारियों एवं व्यवस्थाओं का शनिवार को जिलाधिकारी (डीएम) सौरभ गहरवार ने पैदल निरीक्षण किया। उन्होंने खडपतिया हैलीपैड़ से क्रौंच पर्वत में अवस्थित मंदिर तक सभी व्यवस्थाओं को समय से पूरा करने का निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिया।
गहरवार ने निर्देश दिए कि मंदिर परिसर को फूलों एवं लाइटिंग के माध्यम से दिव्य एवं भव्यता के साथ सजाया जाए तथा आने वाले श्रद्धालुओं एवं मुख्य अतिथियों के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर ली जाए। उन्होंने लोनिवि को निर्देश दिए हैं कि खडपतिया से लेकर कार्तिकेय स्वामी मंदिर तक आने वाले श्रद्धालुओं के लिए चैक प्वाइंट तैयार करते हुए उनमें पेयजल एवं शीतल पदार्थ भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध करवाया जाए। साथ ही मंदिर पैदल मार्ग में अस्थाई शौचालय की व्यवस्था की जाए। उन्होंने मंदिर परिसर में विद्युत आपूर्ति हेतु पांच किलोवाट के जनरेटर एवं इन्वर्टर की व्यवस्था करने के भी निर्देश दिए तथा रास्ते में पोलों पर विद्युत लाइट लगाने के भी निर्देश दिए।
वहीं डीएम ने मुख्य विकास अधिकारी को निर्देश दिए कि उरेड़ा के माध्यम से सोलर लाइट की व्यवस्था करवाने के भी निर्देश दिए। जबकि, अधिशासी अभियंता, लोनिवि को मंदिर की सीढ़ियों पर आने वाले श्रद्धालुओं के जूते-चप्पलों की उचित व्यवस्था हेतु स्टैंड स्थापित करवाने के निर्देश दिए। उन्होंने लोनिवि को यह भी निर्देश दिए हैं कि मंदिर समिति की, सभी धर्मशालाओं में आवश्यक मरम्मत कार्य तत्परता से करवा, उनमें ऐंपण के माध्यम से पेंटिंग की जाए। उन्होंने यह भी निर्देश दिए हैं कि 3 किमी. क्षेत्रांतर्गत, पैच, ड्रैन, पैराफिट कार्य 10 मई तक अनिवार्य रूप से पूर्ण कर लिया जाए तथा पैराफिटों पर पेंट करवाया जाए।
गहरवार ने खड़पतिया मंदिर के मुख्य द्वार पर बेहतर साफ-सफाई के निर्देश ग्राम प्रधान सहित संबंधित अधिकारियों को दिए तथा खड़पतिया में रखे गए कूड़ेदानों पर पेंट करने के निर्देश जिला पंचायत को दिए। उन्होंने जिला पर्यटन विकास अधिकारी को निर्देश दिए कि पूजा में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं एवं मुख्य अतिथियों के लिए मंदिर तक आने-जाने हेतु घोड़े-खच्चरों एवं डंडी की उचित व्यवस्था की जाए तथा घोड़े-खच्चरों के हॉकरों के लिए भी ड्रेस कोड हेतु उचित व्यवस्था की जाए। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए हैं कि आने वाले श्रद्धालुओं को उचित भोजन व्यवस्था एवं रहने की उचित व्यवस्था की जाए।
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