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नई सरकार बनते ही इन देशों के दौरे पर जाएंगे पीएम

विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि पिछले 10 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोकस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की इमेज को मजबूत करना रहा है। कुछेक अपवादों को छोड़ दें, तो प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति की पूरी दुनिया कायल है।

देश समेत पूरी दुनिया की निगाहें इन दिनों चार जून को घोषित होने वाले चुनाव परिणामों पर लगी हैं। चुनाव परिणाम घोषित होते ही भारत में नई सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। संभावना जताई जा रही है कि आठ जून को नई सरकार शपथ ले लेगी। वहीं, चुनावी व्यस्तता समाप्त होने के बाद जो भी प्रधानमंत्री बनेगा उसके लिए अगले कुछ माह बेहद व्यस्त रहने वाले हैं। उन्हें न केवल देश बल्कि विदेश की भी कई चुनौतियों से निपटना होगा। उनके विदेशी दौरों का शिड्यूल भी काफी टाइट रहने वाला है।

10 साल में कभी चैन से नहीं बैठा विदेश विभाग

विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि पिछले 10 सालों में प्रधानमंत्री मंत्री नरेंद्र मोदी का फोकस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की इमेज को मजबूत करना रहा है। कुछेक अपवादों को छोड़ दें, तो प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति की पूरी दुनिया कायल है। सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी पीएम मोदी की छवि एक मजबूत नेता के तौर पर रही है। उनके ही नेतृत्व में भारत ने ग्लोबल साउथ का लीडर बनने की तरफ कदम भी बढ़ा दिए हैं। जी20 में भारत की मेजबानी का जलवा पूरी दुनिया देख ही चुकी है। विदेश मंत्रालय में कहा जाता है कि पीएम मोदी के 10 सालों के कार्यकाल में भारतीय विदेश विभाग शायद ही कभी आराम से बैठा होगा।

इटली में जॉर्जिया मेलोनी से होगी मुलाकात

विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि नई सरकार बनने के साथ ही नए प्रधानमंत्री के लिए आगामी कुछ महीने थोड़े हेक्टिक रहने वाले हैं। जिसके चलते नए प्रधानमंत्री को ताबड़तोड़ विदेश दौरे करने होंगे। सूत्र बताते हैं कि नए प्रधानमंत्री के लिए इस वर्ष आठ अनिवार्य विदेशी दौरों की संभावना है। इनमें से दो दौरे प्रधानमंत्री मोदी इस साल चुनाव से पहले ही निपटा चुके हैं, इनमें यूएई-कतर और भूटान का दौरा शामिल है। इसमें सबसे पहला दौरा इटली का हो सकता है। क्योंकि इस साल इटली 13 से 15 जून तक जी7 देशों की मेजबानी कर रहा है। इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने खुद अप्रैल के आखिर में प्रधानमंत्री मोदी को इटली आने का न्योता दिया था। देखने वाली बात होगी कि अगर मोदी देश के प्रधानमंत्री फिर से चुने जाते हैं, तो वे इटली का दौरा कर सकते हैं। वहीं जॉर्जिया मेलोनी और प्रधानमंत्री मोदी की केमिस्ट्री भी काफी चर्चा का विषय रही है।

यूक्रेन में शांति को लेकर बैठक

सूत्रों ने बताया कि इटली के बाद प्रधानमंत्री स्विट्जरलैंड भी जा सकते हैं। स्विट्जरलैंड के बर्गेनस्टॉक में 15 से 16 जून तक ‘समिट ऑफ पीस इन यूक्रेन’ समिट हो रही है, जिसका फॉर्मल इनवाइट आया हुआ है। जिसका उद्देश्य राष्ट्रों के प्रमुखों के साथ बैठक कर यूक्रेन में स्थायी शांति की बहाली के लिए आम राय बनाना है। भारत ने हमेशा से रूस-यूक्रेन संघर्ष के लिए शांति फॉर्मूले का समर्थन किया है, और खुद प्रधानमंत्री मोदी का कहना है, “यह युद्ध का युग नहीं है” और बातचीत और कूटनीति के जरिए शांति बहाली की प्रक्रिया पर जोर दिया जाए। हालांकि सूत्रों ने बताया कि ये दोनों ही महत्वपूर्ण इवेंट्स हैं और इनमें भारत का प्रतिनिधित्व होना चाहिए। नई सरकार आने के बाद ही इन पर कोई फैसला होगा।

एससीओ में उपस्थिति जरूरी

सूत्रों के मुताबिक, इन दिनों कजाकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक चल रही है। जिनमें से अस्ताना में एससीओ विदेश मंत्रियों की परिषद, रक्षा मंत्रियों और पर्यावरण मंत्रियों की बैठक हो चुकी है, जिसमें विदेश मंत्री की जगह रतक्षा मंत्रालय में सचिव (इकॉनमिक रिलेशंस) दम्मू रवि और रक्षा सचिव गिरिधर अरमानेहिस्सा ले चुके हैं। वहीं एससीओ हेड्स ऑफ स्टेट काउंसिल की बैठक जुलाई के पहले हफ्ते में होगी। इस बैठक में भारत के प्रधानमंत्री की उपस्थिति जरूरी होगी।

अक्तूबर में होगी ब्रिक्स समिट

इसके बाद रूस में 16वीं ब्रिक्स समिट होने वाली है, जो 22 से 24 अक्तूबर 2024 तक होगी। इसमें ब्राजील, रूस, इंडिया, चीन के अलावा दक्षिण अफ्रिका भी हिस्सा लेंगे। वहीं पिछले साल इजिप्ट, इथोपिया, ईरान, सऊदी अरब और यूएई नए सदस्य बने थे। जिसके बाद इनकी संख्या कुल मिला कर 10 हो गई है। इन सभी देशों के राष्ट्राध्यक्ष इस समिट में हिस्सा लेंगे। इसके बाद 18-19 नवंबर को ब्राजील के रियो डी जिनेरियो में जी20 लीडर्स समिट होने वाली है। इसमें भारत समेत 19 देशों के राष्ट्राध्यक्ष हिस्सा लेंगे। पिछले साल भारत ने जी20 सम्मेलन की मेजबानी की थी।

टोक्यो जा सकते हैं प्रधानमंत्री

इसके अलावा इस साल इथियोपिया में भारत-अफ्रीका शिखर सम्मेलन भी होना, जिसकी सह-अध्यक्षता भारते के प्रधानमंत्री करेंगे। भारत और अफ्रिकी देशों के संबंधों के मद्देनजर यह समिट बेहद अहम है। इसके अलावा देश के प्रधानमंत्री इस साल के आखिर में जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के साथ वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा के लिए टोक्यो जाने का प्लान भी प्रस्तावित है। उम्मीद है कि प्रधानमंत्री इस समिट में शामिल होंगे। इसके अलावा 22-23 सितंबर, 2024 को संयुक्त राष्ट्र में ‘समिट ऑफ द फ्यूचर’ के तहत ‘बेहतर कल के लिए बहुपक्षीय समाधान’ पर शिखर सम्मेलन भी होना है। इसमें भी भारत को आमंत्रित किया गया है। इसकी अहमियतता का देखते हुए उम्मीद जताई जा रही है कि प्रधानमंत्री इसमें हिस्सा लेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने किए 10 साल में 77 विदेशी दौरे

साल 2024 में ही लोकसभा चुनावों से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो विदेश दौरे हो चुके हैं। जिसमें उन्होंने 22-23 मार्च को भूटान का दौरा किया था। वहीं उससे पहले 13 फरवरी से 15 फरवरी के बीच वे यूएई और कतर के दौरे पर रहे थे। अकेले 2023 में उनकी छह विदेश यात्राएं रहीं। अपने 10 साल के कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 66 देशों में 77 विदेशी दौरे किए, जबकि उनके पूर्ववर्ती डॉ. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 73 विदेशी किए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसी भी अन्य भारतीय प्रधानमंत्री की तुलना में सबसे ज्यादा विदेश यात्राएं की हैं। उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में 49 और दूसरे कार्यकाल में 28 विदेशी दौरे किए। खास बात यह है कि 2020 में कोरोना की वजह से उनका कोई विदेश दौरा नहीं हुआ। 2019 में सरकार बनने के साथ ही उन्होंने 08 जून-09 जून, 2019 को मालदीव और श्रीलंका का किया था।