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झुलस रही है दून घाटी : 157 साल में कभी नहीं पड़ी इतनी गर्मी

अपने ठंडे और हसीन मौसम के लिए मशहूर दून घाटी इन दिनों भीषण गर्मी से झुलस रही है। शुक्रवार को दून का अधिकतम तापमान सात डिग्री की बढ़ोतरी के साथ 43.2 दर्ज किया गया। दून में पारा कभी इतना ऊपर नहीं गया, जितना 31 मई 2024 को रिकार्ड किया गया है। मौसम विभाग एक जनवरी 1867 से देहरादून में तापमान की गणना कर रहा है, इसमें 43.2 डिग्री मई में अब तक का सबसे अधिक तापमान है।

शिवालिक की पहाड़ियों से घिरी दून घाटी में मई के दूसरे सप्ताह से ही प्रचंड गर्मी और गर्म हवाएं लोगों को परेशान कर रही हैं। इस बीच कई बार शहर का अधिकतम तापमान 40 के पार रहा। ये भीषण गर्मी दिन के साथ रात को भी बेचैन कर रही है।

मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया, एक जनवरी 1867 से दून का तापमान दर्ज किया जा रहा है। इसके आधार पर सबसे पहले गर्मी ने साल 1988 में रिकॉर्ड तोड़ा था। इस साल दून का अधिकतम तापमान 42.8 दर्ज किया गया था। इसके बाद साल 2012 में 43.1 रिकॉर्ड किया गया था। 31 मई 2024 को गर्मी ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए और पारा 43.2 डिग्री रिकॉर्ड किया गया। वहीं, देहरादून हवाईअड्डे पर 43.5 डिग्री तापमान रिकार्ड हुआ।

तेज गर्जन के साथ झोंकेदार हवा की चेतावनी
प्रदेश के पांच पर्वतीय जिलों में तेज गर्जन के साथ झोंकेदार हवाएं चलने की संभावना है। केंद्र की ओर से जारी पूर्वानुमान के मुताबिक पर्वतीय जिलों के कुछ इलाकों में तेज गर्जन के साथ 40 से 50 किलोमीटर की रफ्तार से झोंकेदार हवाएं चलने का येलो अलर्ट जारी किया गया है। इसके अलावा इन जिलों के कुछ हिस्सों में तेज गर्जन के साथ हल्की बारिश भी हो सकती है। जबकि मैदानी क्षेत्रों में गर्म हवाओं का सिलसिला जारी रहेगा।

आज 42 डिग्री जा सकता है पारा
मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से जारी पूर्वानुमान के अनुसार आज (शनिवार) भी अधिकतम तापमान 42 डिग्री रहने की संभावना है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है, तापमान में हो रही बढ़ोतरी की वजह से मैदान में गर्म हवाएं चल रही हैं। आने वाले दिनों की बात करें तो जून के पहले सप्ताह के बाद तापमान में कमी देखने को मिल सकती है।

यह रहा तापमान
अधिकतम             न्यूनतम

  • देहरादून 43.3             25.4
  • पंतनगर 42.1             24.1
  • मुक्तेश्वर 30.6             13.5
  • नई टिहरी 30.6          15.1

उत्तराखंड में 21 फीसदी कम बरसे मेघ
देहरादून। प्रदेश के मैदानी इलाकों से लेकर पर्वतीय क्षेत्रों में गर्मी की बढ़ती तपिश का मुख्य कारण बारिश कम होना भी है। मई के पूरे महीने में बारिश के आंकड़ों पर नजर डालें तो यहां 21 फीसदी तक मेघ कम बरसे हैं। हरिद्वार जिले में तो एक बूंद भी बारिश नहीं हुई। दूसरे नंबर पर देहरादून जिले में सामान्य से 83 फीसदी कम बारिश हुई। उधर तीसरे स्थान पर सबसे कम बारिश ऊधमसिंह नगर जिले में हुई। यहां 81 फीसदी कम मेघ बरसे। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है बारिश न होने के कारण तापमान में भी इजाफा हो रहा है।

बांग्लादेश के चक्रवात ने बढ़ाया उत्तराखंड का पारा
बीते रविवार को बांग्लादेश में आए खतरनाक चक्रवाती तूफान रेमल ने उत्तराखंड का पारा भी चढ़ा दिया। मौसम वैज्ञानिकों का मानना है बीते कुछ दिनों से 40 के पार पहुंच रहे तापमान का मुख्य कारण चक्रवाती तूफान ही है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया, बीती 26 मई को पश्चिम बंगाल के कैनिंग और बांग्लादेश के मोंगला में चक्रवाती तूफान आया था, जो बाद में हवाओं के रूप में परिवर्तित हो गया। तापमान बढ़ने के साथ यह हवाएं गर्म हो गईं और इसका सबसे ज्यादा असर राजस्थान और पंजाब में पड़ा। साथ ही उत्तराखंड में भी रेमल की हवाओं का असर देखने को मिला। इसके चलते यहां के तापमान ने बीते 157 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया।