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मैं और मेरा पूरा परिवार पीड़ित है : मुकेश कुमार

लखनऊ। मुझे और मेरे परिवार को जिला व पुलिस प्रशासन द्वारा ए. डी. ए एवं बिल्डर द्वारा सताया गया है, और अभी भी सताया जा रहा है। मेरा नाम मुकेश कुमार स्व० श्री राधेश्याम निवासी-दहतोरा शास्त्रीपुरम् का मूल निवासी हूँ।

1. मेरे पूर्वज श्री राधेश्याम तेज सिंह व सुख सिंह है। जिनकी जमीन दहतोरा व मोहम्मदपुर मै खसरा नं0 306 व 158अ व 158 व जिसका रकवा 13 बीघा 11 विस्वा है। इस जमीन से हमारे परिवार का भरण-पोषण एवं जीविका का स्रोत था।

2. सन् 1989 के तहत हमारी जमीन का शास्त्रीपुरम योजना के अधिग्रहण किया गया जिसकी आपत्ति मेरे पूर्वजों द्वारा मा० उच्च न्यायालय हाईकोर्ट में की। मा० उच्च न्यायालय ‌द्वारा हमारी जमीन पर स्टे दे दिया।

3. मा० उच्च न्यायालय द्वारा स्टे होने के उपरान्त हमारा परिवार अपनी जमीन पर खेती करने लगा और जमीन के कुछ भाग पर हमारे पूर्वजों की समाधि एवं देवस्थान बने हुये मेरे पूर्वज कम पढ़े लिखे व्यक्ति थे। गांव के किसान खेती करने वाले व्यक्ति थे और है। और कानूनी जानकारी का अभाव था।

4. मेरे पूर्वजों द्वारा जानकारी हासिल की जो हमारी जमीन अधिग्रहण की गयी है। वह न्यायालय द्वारा उन्हें स्टे प्राप्त एवं हमारा कब्जा होने के कारण शासन द्वारा संज्ञान लिया जा सकता है।

5. मेरे पूर्वों के सम्पर्क में सन् 2003 में सुबोध सागर का नामक व्यक्ति सम्पर्क में आया और उसने मेरे पूर्वजों को पूर्ण विश्वास में ले लिया और जमीन को शासन द्वारा मुक्त कराने की पूरी गारन्टी ले ली। साथ ही मेरे पूर्वजों द्वारा अपने पक्ष में जमीन की बावत एक पावर अपने पक्ष में कराली परन्तु पावर ऑफ अटॉनी में कोई भी किसी भी तरह के निजी अधिकार नहीं दिये केवल देख-रेख एक शासन की कार्यवाही करने के लिये दस्तावेज लिखा गया।

6. सुबोध सागर के प्रयास से हमारी जमीन 2006 में शासन द्वारा अवगुका कर दी गयी परन्तु सरकार बदलने पर एवं पी०ए० द्वारा प्रार्थना पत्र देने पर सन् 2008 में शासन द्वारा अपना आदेश वापस ले लिया उसके खिलाक हमारे पूर्वजों द्वारा मा उच्च न्यायालय में रिट दाखिल की और मा न्यायालय ने 2008 के आदेश को खारिज कर दिया।

7. ए०डी०ए० द्वारा पुनः मा० न्यायालय में सुनवाई हेतु प्रार्थना पत्र दिया जो कि मा० न्यायालय द्वारा सन 2011 में निरस्त कर दिया। शासन का आदेश 2005 के द्वारा हमारी जमीन बिल्कुल क्लीयर हो गयी और ए०डी०ए० का हमारी जमीन से कोई हस्तक्षेप नहीं रहा।

8 हमारी जमीन शासन एवं मा० न्यायालय से अवमुक्त हो गयी तो हमारे द्वारा नियुक्त मुख्त्यारेआम सुबोध सागर के मन से बेईमानी आ गयी और सुबोध द्वारा मेरे पूर्वजों को विश्वास में लेकर व बहला फुसलाकर लगभग 5 बीघा जमीन सौदा SGPRA कम्पनी जिसके डायरेक्टर गुड्‌डू गौतम व प्रभात माहेश्वरी से सौदा कर दिया।

9. हमारी जमीन अच्छी लोकेशन होने के कारण सुबोध का लालच और बढ़ गया और इस बेईमानी का असली रचियता प्रमात महेश्वरी था उसी समय सुबोध सागर के बहनोई ए०डी०ए० में सचिव पद पर आ गये और इन सब लोगों ने मिलकर और ए०डी०ए० को अपने साथ मिलाकर हमारी जमीन को अपने नाम करा लिया। जबकि शासन द्वारा हमारी जमीन मुक्त हो गयी तो ए०डी०ए० के अधिकार एवं हस्तक्षेप नहीं होना चाहिये।

10. सुबोध द्वारा हमारी जमीन ए०डी०ए० से अपने नाम कब्जे कराने के बाद तुरन्त कम्पनी को बैनामा कर दिया मेरे पूर्वजों को जब यह जानकारी हुयी कि सुबोध व बिल्डर द्वारा हमारी जमीन अपने नाम करा ली है तो मेरे पूर्वजों द्वारा जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन से शिकायत की परन्तु कोई भी कार्यवाही न की क्योंकि गरीब लोगों की कोई भी न ही सुनता बिल्डर व सुबोध का प्रशासन पर काफी प्रभाव है। फिर मेरे द्वारा न्यायालय में प्रार्थना।

11. हमारी जमीन बिल्डर के पक्ष में कैलाना हो गया जो हमारे द्वारा सिविल न्याय दीवानी में बैनामा खारिज कराने का दावा दाखिल कर दिया जो कि विधाराधीन इसी क्रम में बिल्डर ने हमारी पूरी जमीन पर कब्जा कर लिया और हमारी जमीन पर हमारे पूर्वजों की समाधि एवं देवस्थान बने हुये थे वो ध्वस्त कर दिये जिसकी शिकायत थाना शिकन्दरा में की परन्तु हमारी शिकायत का संज्ञान नहीं लिया।

12. मैं और मेरा परिवार काफी पीड़ित है। दबंग लोगों का इतना प्रभाव है कि पीड़ित परिवार की न तो प्रशासन सुनवाई कर रहा है और न पुलिस प्रशासन सुन रहा है। साथ ही पीडित परिवार ‌द्वारा अपनी फरियाद शासन में मा० मुख्यमंत्री को संबोधन कर प्रार्थना पत्र देषित किया परन्तु उस प्रार्थना पत्र पर भी कार्यवाही नहीं की गयी।

13. बिल्डर का प्रशासन व पुलिस प्रशासन व शासन के साथ-साथ न्यायालय पर भी बड़ा प्रभाव है। क्योंकि मा० जिला जज ‌द्वारा हमको 24 मई को हमारी जमीन पर स्टे ऑर्डर दिया गया परन्तु बिल्डर का इतना बड़ा प्रभाव था कि उसको 6 दिन बाद सिविल न्यायालय का आखरी दिन 31 मई को जिला जज ‌द्वारा अपने ही आदेश वापस ले लिया।

14. मैं और मेरा परिवार अपने न्याय के लिए किस दरवाजे पर जाये समझ नहीं पा रहे है। इसीलिये मैंने और मेरे परिवार ने महामहिम राष्ट्रपति महोदय से इच्छा मृत्यु की फरियाद की क्योंकि इस देश में आम और गरीब व्यक्ति की कोई सुनवाई नहीं है। केवल बड़े आदमी का बोलवाला गरीब व्यक्ति या तो आत्महत्या करता है या सारे जीवन बड़े लोगों का उत्पीडन सहता है।