नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने मंगलवार को न्यू इंडियन मैरीटाइम डाक्टि्रन का अनावरण किया। इसका उद्देश्य हर तरह की राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौती का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए तीनों सेनाओं के बीच समन्वय बढ़ाना है। नौसेना के अनुसार, नए सिद्धांत में ‘युद्ध नहीं, शांति नहीं’ को शांति और संघर्ष के बीच की एक विशिष्ट श्रेणी के रूप में मान्यता दी गई है और इसे संघर्ष क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण आयाम माना गया है।
2009 में भारतीय समुद्री सिद्धांत में किया गया था संशोधन
इंडियन मैरीटाइम डाक्टि्रन (भारतीय समुद्री सिद्धांत) पहली बार 2004 में प्रकाशित हुआ था और 2009 में इसे संशोधित किया गया था। 2015 में इसमें कुछ और मामूली संशोधन किए गए थे। नए संस्करण में भारत के समुद्री परिवेश और रणनीतिक दृष्टिकोण में आए बड़े बदलावों को दर्शाया गया है।
नौसेना की भूमिकाओं को परिभाषित करेगा ये सिद्धांत
नौसेना ने कहा कि यह सिद्धांत 2025 की रणनीति और अभियानों के लिए आधार तैयार करता है और यह स्पष्ट रूप से नौसेना की भूमिकाओं को परिभाषित करता है। इसका उद्देश्य भारत की क्षेत्रीय भूमिका और समुद्री प्रभाव को बढ़ाना है। साथ ही एक समुद्री-सचेत राष्ट्र का निर्माण करना है।
बयान में कहा गया है कि नए संस्करण में पिछले एक दशक में भारत के समुद्री परिवेश में आए बदलावों को शामिल किया गया है। यह प्रतिद्वंद्वियों की रणनीतियों की उन्नत समझ को भी समाहित करता है और मानव रहित प्रणालियों तथा उभरती प्रौद्योगिकियों के एकीकरण पर जोर देता है।
Fark India | National Hindi Magazine Hindi Magazine and Information Portal