भारत सरकार ने चिकित्सा उपकरण उद्योग को सशक्त बनाने के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना की कर दी शुरुआत!
भारत सरकार ने देश के चिकित्सा उपकरण उद्योग को सशक्त बनाने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना का ऐलान किया है। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री, जेपी नड्डा ने शुक्रवार को घोषणा की कि सरकार 500 करोड़ रुपये की एक योजना शुरू कर रही है, जिसका उद्देश्य भारत में चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन को बढ़ावा देना, आयात निर्भरता को कम करना और इस उद्योग में कौशल विकास को बढ़ावा देना है। यह योजना तीन वर्षों के लिए लागू की जाएगी और इसके तहत विभिन्न पहलुओं पर ध्यान दिया जाएगा, जिनमें प्रमुख घटकों के निर्माण, सहायक उपकरणों का विकास, नैदानिक अध्ययन के लिए वित्तीय सहायता, उद्योग संवर्धन और साझा बुनियादी ढांचे का निर्माण जैसी योजनाएं शामिल हैं।
योजना के मुख्य घटक
इस 500 करोड़ रुपये की योजना को पाँच प्रमुख घटकों में बांटा गया है, जिन पर सरकार खास ध्यान देगी:
1. चिकित्सा उपकरण क्लस्टरों के लिए साझा सुविधाएँ
योजना के तहत, भारत में करीब 20 चिकित्सा उपकरण क्लस्टरों के लिए साझा सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा। इन सुविधाओं में अनुसंधान एवं विकास (R&D) प्रयोगशालाएँ, डिजाइन और परीक्षण केंद्र, और पशु प्रयोगशालाएँ शामिल होंगी। यह साझा बुनियादी ढांचा उद्योग के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होगा, क्योंकि यह उत्पादन की लागत को कम करेगा और गुणवत्ता सुधारने में मदद करेगा। इस पहल के लिए 110 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
2. क्षमता निर्माण और कौशल विकास
इस योजना के एक और महत्वपूर्ण पहलू के रूप में, सरकार इस क्षेत्र में काम कर रहे लोगों के कौशल को बढ़ाने के लिए 100 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। इसमें विशेष रूप से चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन और तकनीकी कार्यों में दक्षता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इससे उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों और इंजीनियरों की क्षमता में सुधार होगा, जिससे यह उद्योग और भी मजबूत होगा।
3. आयात निर्भरता को कम करने के लिए सीमांत निवेश योजना
भारत में चिकित्सा उपकरणों के निर्माण में उपयोग होने वाले प्रमुख घटकों और कच्चे माल के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक सीमांत निवेश योजना बनाई गई है। इसके तहत सरकार 180 करोड़ रुपये की राशि आवंटित करेगी। इस योजना के माध्यम से भारत में स्थानीय स्तर पर इन घटकों का उत्पादन बढ़ाने के लिए उद्योग को 10 से 20 प्रतिशत तक पूंजी सब्सिडी दी जाएगी, जिसमें प्रति परियोजना 10 करोड़ रुपये तक का अनुदान मिलेगा। इसका उद्देश्य आयात निर्भरता को कम करना और देश के चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन को आत्मनिर्भर बनाना है।
4. नैदानिक अध्ययन के लिए वित्तीय सहायता
सरकार द्वारा 100 करोड़ रुपये की सहायता योजना भी शुरू की गई है, जिसका उद्देश्य चिकित्सा उपकरणों के नैदानिक अध्ययन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। यह सहायता डेवलपर्स और निर्माताओं को पशु अध्ययन और मानव परीक्षण में मदद करने के लिए दी जाएगी। इसका प्रमुख उद्देश्य यह है कि अधिक से अधिक मेडटेक उत्पादों को मान्यता मिले और वे बाजार में आ सकें। यह योजना शोध एवं विकास की दिशा में एक अहम कदम है।
5. चिकित्सा उपकरण उद्योग का संवर्धन
इस योजना के तहत 10 करोड़ रुपये की राशि का उपयोग चिकित्सा उपकरणों के उद्योग संवर्धन के लिए किया जाएगा। इसका उद्देश्य इस क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना और वैश्विक बाजार में भारत को एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करना है। इसके तहत विभिन्न प्रचार-प्रसार गतिविधियाँ, व्यापार मेलों और उद्योग सम्मेलनों का आयोजन किया जाएगा।
सरकार की प्रतिबद्धता
केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने इस योजना को एक बड़ा और परिवर्तनकारी कदम बताते हुए कहा, “यह योजना चिकित्सा उपकरण उद्योग को सशक्त बनाने में मदद करेगी और यह भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हम इस क्षेत्र में दीर्घकालिक और सकारात्मक परिणामों के लिए प्रतिबद्ध हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि सरकार उद्योग को मजबूत करने के लिए केंद्रित हस्तक्षेप कर रही है, जिससे देश के चिकित्सा उपकरण उद्योग को एक नई दिशा मिलेगी और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेगा।
भारत का चिकित्सा उपकरण उद्योग
भारत का चिकित्सा उपकरण उद्योग वर्तमान में 14 बिलियन डॉलर का है और एशिया में चौथा सबसे बड़ा चिकित्सा उपकरण बाजार है। इसके अलावा, यह दुनिया के शीर्ष 20 चिकित्सा उपकरण बाजारों में भी शामिल है। भारत का चिकित्सा उपकरण उद्योग तेजी से बढ़ रहा है और 2030 तक इसके 30 बिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार की यह योजना भारतीय चिकित्सा उपकरण उद्योग को एक नई ऊँचाई पर ले जाएगी और वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को मजबूत करेगी।
उद्योग की प्रतिक्रिया
इस योजना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पॉली मेडिक्योर के प्रबंध निदेशक हिमांशु बैद ने कहा, “यह कदम भारत को चिकित्सा उपकरणों के प्रमुख निर्यातक के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा। इसके साथ ही, यह योजना इस उद्योग के क्षेत्रीय विकास को भी गति देगी और आयात निर्भरता को कम करेगी।” उन्होंने कहा कि इस व्यापक दृष्टिकोण से न केवल उद्योग को फायदा होगा, बल्कि देश के स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे को भी मजबूती मिलेगी।
भविष्य की संभावनाएँ
भारत का चिकित्सा उपकरण उद्योग भविष्य में उच्च विकास दर को देखते हुए आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। इसके अलावा, इस क्षेत्र में निवेश और नवाचार को बढ़ावा देने से ना केवल उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि इससे रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे। सरकार की इस पहल से चिकित्सा उपकरण उद्योग में विदेशी निवेश को आकर्षित करने और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार होने की उम्मीद है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य भारत को चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के योग्य बनाना है। यह योजना स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में सुधार, रोजगार सृजन और आयात निर्भरता को कम करने में भी अहम भूमिका निभाएगी।