लखनऊ। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में बृहस्पतिवार से इंडियन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी का 42वां वार्षिक अधिवेशन शुरू होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसका उद्धाटन करेंगे। पीजीआई में नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो. नारायण प्रसाद ने बुधवार को हुई प्रेसवार्ता में ये जानकारी दी।
प्रो. नारायण प्रसाद ने बताया कि इंटरवेंशनल नेफ्रोलॉजी किडनी रोगों के इलाज की आधुनिक विधा है। इसमें डायलिसिस के लिए फिस्टुला (विशेष नस) बनाना, डायलिसिस कैथेटर डालने और बायोप्सी जैसी तकनीकी प्रक्रियाएं बिना चीरा लगाए की जा सकती हैं। इससे मरीजों को जल्द राहत मिलती है। इस क्षेत्र में नवाचार पर इंडियन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी का चार दिवसीय वार्षिक अधिवेशन 18 से 21 दिसंबर तक एसजीपीजीआई परिसर में आयोजित किया जा रहा है।
अधिवेशन के दौरान छह वर्कशॉप होंगी, जिनमें इंटरवेंशनल नेफ्रोलॉजी के अलावा ट्रांसप्लांट इम्यूनोलॉजी, क्रिटिकल केयर नेफ्रोलॉजी, ऑन्को-नेफ्रोलॉजी, पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी समेत अन्य विषय रखे गए हैं। अधिवेशन में 25 देशों के विशेषज्ञ शामिल होंगे।
अगले साल से 250 किडनी प्रत्यारोपण का लक्ष्य
नेफ्रोलॉजी विभाग की प्रो. अनुपमा कौल ने बताया कि विभाग में अगले साल से सालाना 250 किडनी ट्रांसप्लांट करने का लक्ष्य रखा गया है। प्रो. रविशंकर कुशवाहा ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने किडनी को कम्युनिकेबल डिजीज की श्रेणी में शामिल किया है। इससे किडनी रोगों की रोकथाम, समय पर पहचान और इलाज को गति मिलेगी। डॉ. जय कुमार ने बताया कि आधुनिक डायलिसिस मशीनों के उपयोग से किडनी मरीजों में अचानक होने वाली मौतों में करीब 90 प्रतिशत तक कमी आई है। ये इलाज के लिए अच्छे संकेत हैं।
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