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नेहरू से जुड़े पेपर्स के 51 कार्टन क्यों नहीं लौटाए गए? केंद्रीय मंत्री का कांग्रेस पर कड़ा प्रहार

केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस पर नेहरू से जुड़े पेपर्स के 51 कार्टन वापस न करने का आरोप लगाया है। उन्होंने इस मुद्दे पर कांग्रेस की नीयत पर सवाल उठाए और पारदर्शिता की मांग की। मंत्री ने कहा कि इन पेपर्स का सार्वजनिक होना जरूरी है ताकि नेहरू के कार्यकाल की सही जानकारी लोगों तक पहुंच सके। इस मामले ने राजनीतिक गलियारों में बहस छेड़ दी है। देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निजी पत्रों और दस्तावेजों को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच बुधवार को तकरार देखने को मिली। इस बीच संस्कृति मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि नेहरू के पत्र लापता नहीं हैं, बल्कि वे सोनिया गांधी के पास सुरक्षित हैं। इसके बाद लोकसभा में कांग्रेस ने जमकर हंगामा किया। दरअसल, सरकार ने कांग्रेस से इन दस्तावेजों को लौटाने को कहा है और इसे राष्ट्र की विरासत बताया है। ये विवाद उस वक्त शुरू हुआ, जब बीजेपी के सांसद संबित पात्रा ने संसद में सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय से नेहरू के पत्र गायब हैं? इसके जवाब में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने लिखित में कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री से संबंधित कोई भी दस्तावेज पीएमएमएल से लापता नहीं हैं। कांग्रेस ने साधा निशाना वहीं, जैसे ही शेखावत ने ये बात कही। कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा और माफी की मांग की। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार पहले गुमशुदगी की अफवाहें फैला रही थी, लेकिन सरकार ने दो टूक कहा कि तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है और देश को सच बताया जाना चाहिए। बता दें कि सरकार के डेटा के अनुसार, 29 अप्रैल 2008 को सोनिया गांधी के प्रतिनिधि ने एक पत्र में नेहरू के निजी पारिवारिक पत्र और नोट्स वापस लेने का अनुरोध किया था। ठीक इसके बाद साल 2008 में ही सरकार ने निजी कागजातों के 51 कार्टन सोनिया गांधी को सौंपे। मंत्रालय की ओर से बताया गया कि PMML ने इन दस्तावेजों की वापसी के लिए सोनिया गांधी के कार्यालय के साथ निरंतर संवाद बनाए रखा था। जिसमें जनवरी और जुलाई 2025 में भी पत्र भेजे गए। केंद्रीय मंत्री ने साधा निशाना वहीं, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने लिखा कि नेहरू के दस्तावेज गायब नहीं हैं, उनकी जगह पता है। शेखावत ने सोनिया गांधी से आग्रह किया कि देश को साफ करें किया क्या छुपाया जा रहा है और इतने महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज सार्वजनिक आर्काईव्स में क्यों नहीं लौटाए गए। आगे उन्होंने कहा कि ये निजी पारिवारिक कागज नहीं, बल्कि राष्ट्रीय धरोहर का हिस्सा हैं और शोधार्थियों के लिए इन तक पहुंच आवश्यक है।