झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता जाने की अटकलों के बीच राज्य में कई संभावनाएं बनी हुई हैं। चुनाव आयोग ने लाभ के पद को लेकर उनकी विधायकी रद्द करने की सिफारिश वाली रिपोर्ट राज्यपाल को भेज दी है। अब आखिरी फैसला राज्यपाल रमेश बैस को लेना है। ऐसे में राज्य का सियासी तापमान काफी बढ़ गया है। सोरेन महागठबंधन के विधायकों को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं बीजेपी पूरी स्थिति पर नजर रखे हुए है। ऐसे में कई तरह के सवाल और अटकलें भी जारी हैं। इनपर हिन्दुस्तान ने विधि विशेषज्ञ ए. अल्लाम से बात की…

सवाल – क्या हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने रहेंगे?
सदस्यता जाने के बाद सीएम पद से इस्तीफा देना होगा। हेमंत सोरेन अभी विधायक हैं। ऐसे में सदस्यता समाप्त होने के बाद वह सदन के सदस्य नहीं रह जाएंगे।
सवाल – फैसला मानने को हेमंत कितने बाध्य हैं ?
निर्वाचन आयोग अर्द्ध न्यायिक संस्था है। राज्यपाल से भी शिकायत की गयी है। राज्यपाल ने निर्वाचन आयोग से मंतव्य मांगा। अब आयोग ने मंतव्य राज्यपाल को दिया है। आयोग के मंतव्य को मानने के लिए राज्यपाल और हेमंत दोनों बाध्य हैं।
सवाल – अगर हेमंत दोबारा सीएम बनेंगे तो उसकी क्या प्रक्रिया होगी?
इस्तीफा देने के बाद यूपीए अपने विधायक दल का नेता चुनेगा। हेमंत यदि दोबारा विधायक दल के नेता चुने जाते हैं, तो सरकार बनाने का दावा कर सकते हैं। उन्हें छह माह के अंदर किसी सीट से चुनाव लड़ना होगा। चुनाव जीतने के बाद शेष कार्यकाल पूरा कर सकते हैं।
सवाल – दोबारा सीएम बनने पर क्या हेमंत को फिर बहुमत साबित करना होगा?
यह राज्यपाल के विवेक पर निर्भर है। यदि राज्यपाल को लगता है कि बहुमत साबित कराने की जरूरत है तो वह हेमंत को एक समय सीमा में बहुमत साबित करने कहेंगे।
सवाल – अगर हेमंत नहीं तो कौन बन सकते हैं सीएम?
कोई दूसरा भी बन सकता है। यह यूपीए पर निर्भर करता है। कोई ऐसा व्यक्ति भी सीएम बन सकता है जो सदन का सदस्य नहीं है। लेकिन उसे छह माह के अंदर चुनाव लड़कर जीतना होगा।
सवाल – हेमंत आगे क्या कर सकते हैं?
अदालत जा सकते हैं। वह हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में आयोग की अनुशंसा और चुनाव के लिए डिबार किए जाने को चुनौती दे सकते हैं।
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