सुल्तानपुर।।ग्रामीण समाज की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक समस्याओं को बिरहा गायकी के जरिए सुरों में समेट कर तंज कसने वाले शास्त्री यादव नहीं रहे।बिरहा सम्राट लोकगायक शास्त्री यादव का कल रात्रि में निधन हो गया वह लम्बे समय से बीमार चल रहे थें। उनका जाना समाज में एक रिक्त स्थान पैदा करता है जिसकी भरपाई असम्भव है।मिली जानकारी के अनुसार जिनका अंतिम संस्कार दियरा घाट पर किया जायेगा गया।
शास्त्री प्रसाद यादव सांस्कृतिक प्रकोष्ठ सुल्तानपुर के अध्यक्ष थें इनके पिता स्वं राम नाथ यादव जी थें।सुल्तानपुर जिले के जयसिंहपुर विधानसभा क्षेत्र के ग्राम टोलवा पोस्ट उघड़पुर निवासी थें।इनके परिवारजनों में चार भाइयों में ये तीसरे नंबर पर थे। श्री श्याम चरित मानस महाकाव्य के रचयिता स्व माधव दास के रिश्तेदार एवं अनन्य शिष्य भी थें शास्त्री यादव।बड़े भाई उद्री प्रसाद ,जंत्री प्रसाद छोटे भाई राजेश।अवध क्षेत्र से लेकर सुदूर इलाकों तक अपनी आवाज के दम पर समाज में व्याप्त कुरीतियों एंव विसंगतियों के साथ वीर रस में भी इनकी गयकी छाई हुई हैं। ग्रामीण समाज की नब्ज पहचानने की कला को बिरहा गायकी में पिरोया और लोगों का भरपूर मनोरंजन भी कराया। बिरहा सम्राट के निधन का समाचार सुनकर उनके प्रशंसकों में शोक की लहर दौड़ गई। उनके भतीजे जितेंद्र , मित्रसेन,लालू ,राज,विवेक,मोनू, संतराम,अजय , यादवेश ने कहां हमने अपनी अनमोल विरासत को आज खो दिया।बिरहा सम्राट के निधन पर एड् कुलदीप जनवादी ,एड् अजय वर्मा, उमाकांत पटेल,एड् भानु प्रताप ,पवन यादव बनमई,बिरहा गायक छविलाल पाल ,पत्रकार विनोद यादव ,पत्रकार प्रदीप यादव सहित तमाम लोगों ने गहरा दुख प्रकट किया।