सिंगापुर/बीजिंग. अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने मंगलवार को कहा कि चीन दक्षिण चीन सागर के बड़े क्षेत्र में जबरदस्ती अपना दबदबा कायम करने, धमकाने और दावे करने का काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि चीन के कृत्य नियम आधारित व्यवस्था को धता बता रहे हैं और अन्य देशों की संप्रभुता को चुनौती दे रहे हैं. हैरिस ने कहा कि इन खतरों का सामना करने में अमेरिका अपने सहयोगी देशों के साथ खड़ा है.
सिंगापुर की अपनी तीन दिवसीय यात्रा के दौरान दिए गए महत्वपूर्ण संबोधन में हैरिस ने कहा कि अमेरिका के दृष्टिकोण में मुक्त नौवहन की व्यवस्था शामिल है, जो सभी के लिए अहम है. अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘लाखों लोगों की आजीविका, इन समुद्री मार्गों से प्रतिदिन होने वाले अरबों रुपये के व्यापार पर टिकी है. इसके बावजूद हमें पता है कि दक्षिण चीन सागर के बड़े हिस्से में बीजिंग, जबरदस्ती अपना दबदबा कायम रखने, धमकाने और दावे करने का काम कर रहा है.’
उन्होंने कहा कि इन ‘अवैध दावों’ को 2016 में ‘स्थायी मध्यस्थता अदालत’ ने खारिज कर दिया था. हैरिस ने कहा, ‘बीजिंग की कार्रवाई नियम आधारित व्यवस्था को धता बता रही है और राष्ट्रों की संप्रभुता के लिए खतरा है.’ हैरिस ने कहा कि इन खतरों का सामना करने में अमेरिका अपने साझेदारों और सहयोगी देशों के साथ खड़ा है. अपने संबोधन में उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वॉशिंगटन देशों को किसी का पक्ष लेने के लिए बाध्य नहीं कर रहा है.
पर्यवेक्षकों के अनुसार वियतनाम दक्षिण चीन सागर में चीन के क्षेत्रीय दावों का मुखर विरोधी रहा है और वह अमेरिका के एक प्रमुख भागीदार के रूप में उभरा है. वियतनाम से ही अमेरिका ने 1970 के दशक में वस्तुतः हार मानते हुए अपने सैनिकों को वापस बुला लिया था.
हैरिस ने कहा, ‘दक्षिण पूर्व एशिया तथा हिंद प्रशांत में हमारी उपस्थिति किसी एक देश के विरुद्ध नहीं है और न ही हम किसी देश का पक्ष लेने को कहते हैं. हम एक सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने के पक्षधर हैं, जैसा कि इस क्षेत्र में हमारी भागीदारी और साझेदारी के प्रति है. हमारा आर्थिक दृष्टिकोण इसी का एक हिस्सा है.’
चीन ने हैरिस की टिप्पणी पर तंज कसते हुए कहा कि अमेरिका ने पहले अफगानिस्तान में हस्तक्षेप किया और फिर सैनिक वापस बुला लिए तथा वाशिंगटन के लिए यही नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की परिभाषा है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि अफगानिस्तान से इस तरह से निकलने के बाद अमेरिका की विश्वसनीयता समाप्त हो गई है.
उन्होंने कहा, ‘अफगानिस्तान में जो हो रहा है, उससे हमें तथाकथित नियमों, अमेरिकी व्यवस्था के बारे में साफ पता चलता है कि वह क्या है. अमेरिका किसी संप्रभु देश में अपनी मर्जी से सैन्य हस्तक्षेप कर सकता है, लेकिन उस देश के लोगों की पीड़ा की जिम्मेदारी नहीं ले सकता.’ उन्होंने कहा, ‘अमेरिका अपनी मर्जी से आ सकता है और फिर अंतरराष्ट्रीय समुदाय, यहां तक कि अपने सहयोगियों से विमर्श किए बिना अपनी मर्जी से वापस जा सकता है.’
वांग ने कहा, ‘अमेरिका इस तरह की व्यवस्था चाहता है. अमेरिका नियमों तथा व्यवस्था के बहाने हमेशा अपने स्वार्थ, आधिपत्य तथा दादागीरी का बचाव करने की कोशिश करता है.’ उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी की कवायद के बीच तालिबान ने युद्धग्रस्त देश पर कब्जा कर लिया है. हजारों लोग देश छोड़ने के लिए काबुल हवाईअड्डे के आसपास एकत्र हैं तथा विभिन्न देश अपने लोगों और सहयोगियों को काबुल से निकालकर ले जा रहे हैं.