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जल्द खुलेंगी परतें, हाईकोर्ट ने 24 घंटे में मांगी श्रम विभाग घोटाले की जांच रिपोर्ट

नैनीताल. भवन एंव सन्निर्माण कल्याण बोर्ड में भ्रष्टाचार के मामले पर हाईकोर्ट सख्त है. हाईकोर्ट की खण्डपीठ ने पूरे मामले को लेकर सरकार को आदेश दिया है कि जो जांच भ्रष्टाचार की हुई है उसकी स्टेट्स रिपोर्ट 24 घंटों के भीतर कोर्ट में पेश करें. कोर्ट ने पूछा है कि क्या जांच पूरी हुई है? अगर पूरी हो गई तो क्या कार्रवाई की गई है? शुक्रवार को हाईकोर्ट फिर मामले पर सुनवाई करेगा. इस याचिका की सुनवाई के दौरान चेयरमैन शमशेर सिंह सत्या ने हाईकोर्ट में प्रर्थना पत्र दाखिल कर कहा है कि उनको इस मामले में पक्षकार बनाया जाए, क्योंकि इस विभाग में करोड़ों के घोटाले हुए हैं जिसकी जनकारी उनको है.

सत्याल ने कोर्ट को बताया है कि श्रम विभाग में करोड़ों के घोटाले हैं जिसमें कई बार पैंसा जारी हुआ है लेकिन कोई काम हुआ ही नहीं है. सत्याल ने कहा है कि ई एसटी हॉस्पिटल बनाने के लिए बिना सरकार व कैबिनेट की मंजूरी के ब्रिज एंड रूफ इंडिया लिमिटेड कंपनी को 50 करोड़ का ठेका दे दिया और कंपनी को 20 करोड़ रुपया का अग्रिम भुगतान भी कर दिया, जबकि हकीकत यह है कि अभी तक हॉस्पिटल बनाने के लिए जमीन का चयन तक नही किया गया. ना ही सरकार की कोई अनुमति ली गई. बिना सरकार की अनुमति लिए 20 करोड़ रुपए का अग्रिम भुगतान नहीं किया जा सकता है. सरकार ने 9 दिसंबर 2020 को इसकी जांच के लिए एक कमेटी गठित की.

कमेटी से यह कहा गया कि कंपनी से 20 करोड़ रुपए वसूलकर इसको सम्बन्धित खाते में जमा करवाएं. कमेटी ने सरकार को अपनी रिपोर्ट 23 मार्च 2021 को सौप दी. जांच में 20 करोड़ रुपए का गबन होना पाया गया. चेयरमैन का कहना है कि जब जांच पूरी हो चुकी है तो सरकार इस रिपोर्ट को सार्वजनिक क्यों नहीं कर रही है, लिहाजा इसे सार्वजनिक किया जाए.
आपको बता दें कि काशीपुर निवासी खुर्शीद अहमद ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि 2020 में भवन एवं सन्निर्माण कल्याण बोर्ड में श्रमिकों को टूल किट, सिलाई मशीनें एवं साइकिलें देने के लिए विभिन्न समाचार पत्रों में विज्ञापन दिया गया था. लेकिन इनको खरीदने में बोर्ड के अधिकारियों द्वारा वित्तीय अनियमिताएं बरती गई. जब इसकी शिकायत प्रशासन व राज्यपाल से की गई तो अक्टूबर 2020 में बोर्ड को भंग कर दिया गया और बोर्ड का नया चेयरमैन शमशेर सिंह सत्याल को नियुक्त किया गया. जब इसकी जांच चेयरमैन द्वारा कराई गई तो घोटाले की पुष्टि हुई. उक्त मामले में श्रम आयुक्त उत्तराखंड के द्वारा भी जांच की गई, जिसमें बड़े बड़े सफेदपोश नेताओं व अधिकारियों के नाम सामने आए. लेकिन सरकार ने उनको हटाकर उनकी जगह नया जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया जिसके द्वारा निष्पक्ष जांच नहीं की जा रही है और अपने लोगों को बचाया जा रहा है. याचिकाकर्ता का कहना है कि उक्त मामले की जांच एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित कर निष्पक्ष रूप से कराई जाए.