सर्दियां अभी विदा नहीं हुईं और गर्मी की दस्तक ने चिंता बढ़ा दी है। दिल्ली समेत उत्तर पश्चिम भारत के कई हिस्सों में पारा 30 डिग्री सेल्सियस को छू गया है। अब इस गर्मी ने देश के किसानों को भी चिंता में डाल दिया है। आशंका जताई जा रही है कि ज्यादा तापमान अनाज को नुकसान पहुंचा सकता है। मौसम विभाग यानी IMD की तरफ से किसानों को हल्की सिंचाई की सलाह दी गई है।

IMD की तरफ से सोमवार को जारी विज्ञप्ति के अनुसार, 13 से 20 फरवरी के बीच गुजरात, राजस्थान और कोंकण और गोवा, तटीय कर्नाटक में अधिकतम तापमान 35-39 डिग्री सेल्सियस पर रहा। वहीं, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में 15 से 20 फरवरी के बीच आंकड़ा 23-28 डिग्री सेल्सियस था। 18-20 फरवरी के बीच पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली में अधिकतम तापमान 28-33 डिग्री सेल्सिय पर पहुंच चुका था।
किसान चिंतित
मौसम में अचानक हुए बदलाव ने पंजाब और हरियाणा के किसानों की टेंशन में भी इजाफा किया है। खास बात है कि दोनों ही राज्यों में किसान गेहूं की फसल तैयार होने के इंतजार में हैं। इधर, IMD की तरफ से चेतावनी जारी की जा चुकी है कि अगले 5 दिनों के दौरान तापमान ऊंचा रहने के आसार हैं, जिसका गेहूं पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। खास बात है कि किसान 2022 में भी भीषण गर्मी का सामना कर चुके हैं।
माना जाता है कि फरवरी और मार्च के बीच गेहूं की फसल बढ़ती है। इस दौरान तापमान का ठीक होना बेहद जरूरी है। अब अचानक गर्मी बढ़ने से पैदावार पर भी असर पड़ सकता है। बीती गर्मियों में भी मार्च में अचानक आई गर्मी के चलते भी पैदावार का ग्राफ नीचे आ गया था।
क्यों अचानक बदल गया मौसम?
मौसम विभाग के अनुसार, उच्च तापमान की एक वजह पश्चिमी विक्षोभ का गायब होना हो सकती है। इस साल इनकी संख्या बेहद कम है। फरवरी में कोई भी एक्टिव सिस्टम नहीं देखा गया। अगर पहाड़ी इलाकों में कुछ समय के लिए बर्फबारी को छोड़ दें, तो क्षेत्र सूखा रहा।
इसके अलावा एक कारण दक्षिण गुजरात पर तैयार हो रहा एंटी-साइक्लोन हो सकता है। मौसम विभाग ने बताया है कि यह एंटी-साइक्लोन गुजरात के ऊपर तपन की वजह हो सकता है, जो भारत के उत्तर पश्चिम के हिस्सों तक भी पहुंच गई। कोंकण तट पर कमजोर समुद्री हवा और तेज जमीनी हवा भी पश्चिमी तटों पर गर्मी बढ़ने का कारण हो सकती है।
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