फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को रंगभरी एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह एकमात्र एकादशी है जिसका संबंध भगवान शंकर से है। इस दिन काशी विश्वनाथ वाराणसी में भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा होती है। मान्यता है कि इसी दिन बाबा विश्व नाथ माता गौरा का गोना कराकर पहली बार काशी आए थे। तब उनका स्वागत रंग गुलाल से हुआ था। इस साल रंगभरी या आमलकी एकादशी 3 मार्च को पड़ रही है। 4 मार्च को व्रत पारण किया जाएगा।

रंगभरी एकादशी एकादशी मुहूर्त-
एकादशी तिथि प्रारम्भ – मार्च 02, 2023 को 06:39 ए एम बजे
एकादशी तिथि समाप्त – मार्च 03, 2023 को 09:11 ए एम बजे
पारणा टाइम-
- 4 मार्च को 06:44 ए एम से 09:03 ए एम
- पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय – 11:43 ए एम
पूजा- विधि-
- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- भगवान शिव और माता पार्वती का गंगा जल से अभिषेक करें।
- भगवान शिव और माता पार्वती को पुष्प अर्पित करें।
- एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का भी गंगा जल से अभिषेक करें।
- अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
- भगवान की आरती करें।
- भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
- इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
- इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
शिव जी और माता पार्वती की पूजा सामग्री- पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि।
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