होली रंगों का त्योहार है, जिस प्रकार प्रकृति रंगों से भरी हुई है उसी प्रकार हमारी भावनाएं भी विभिन्न रंगों से जुड़ी हुई है। पंडित आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि इस बार होलिका दहन 7 मार्च दिन को प्रदोष काल में शाम 7.24 बजे तक है। इसी दिन कुलदेवताओ को सिंदुरादि अर्पण करें।

पर्व के शुभ अवसर पर देवताओं को कुलदेवताओं को सिंदूर आदि अर्पण होता है। यह पर्व फाल्गुनी पूर्णिमा को मनाने का विधान है। इस दिन कुलदेवता को भक्ति भाव से सिंदूर अर्पण के साथ-साथ श्री चैतन्य जयंती भी मनाया जाता है। होलिका दहन में भद्रा का त्याग करनी चाहिए।
होलिका दहन के समय ओम होलिकायै नम: मंत्र के साथ विधिवत पूजन का विधान है। ओम होलिकायै नम: मंत्र से पंचोपचार विधि से पूजन कर प्रातकाल होली का भस्म धारण करना चाहिए और होलिका दहन समय अग्नि की तीन बार परिक्रमा करनी चाहिए। होली का पर्व सदा से फाल्गुन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को मनाया जाता है।
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