इस बार होलिका दहन को लेकर लोगों में काफी असमंजस की स्थिति है। जिले में कहीं पर सोमवार तो कहीं पर मंगलवार को होलिका दहन किया जाएगा हालांकि मंगलवार को अधिकतर स्थानों पर होलिका का दहन होगा। इस संबंध में भागवताचार्य आचार्य किशन स्वरूप दुबे का कहना है कि इस वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा तिथि सोमवार 6 मार्च को शाम 4 बजकर 17 मिनट से भद्रा को लेकर प्रारंभ होगी जो 7 मार्च मंगलवार को शाम 6:09 तक रहेगी। भद्रा 7 मार्च मंगलवार को प्रातः 5:13 पर समाप्त हो जाएगी। उन्होंने बताया जिस वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा 2 दिन प्रदोष को स्पर्श कर रही हो तो दूसरी पूर्णिमा में होली जलाना शास्त्र सम्मत है यथा दिनद्वये प्रदोषचेत् पूर्णादाहः परेऽहनि अतः 7 मार्च मंगलवार को शाम 6:24 से रात्रि 8:58 तक होलिका दहन का श्रेष्ठ मुहूर्त होगा। 7 मार्च मंगलवार को अभिजीत मुहूर्त में दोपहर समय होलिका पूजन करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा। यह शास्त्र सम्मत निर्णय है। 8 मार्च बुधवार को रंगोत्सव मनाया जायेगा।

आचार्य दुबे ने बताया इस बार 30 वर्षों के बाद 7 मार्च मंगलवार को पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र, धृति योग, सिंह राशि के चंद्रमा में अत्यंत शुभ योग बन रहा है 6 मार्च को पूर्ण भद्रा के साथ शुरू हो रही है ऐसी स्थिति में 6 मार्च को होलिका दहन करना शुभ नहीं रहेगा। भद्रा को बिध्नकारक माना गया है भद्रा में होलिका दहन करने से हानि और अशुभ फल मिलते हैं इसी कारण से भद्रा में होलिका दहन नहीं किया जाता है।
वही होलिका दहन के संबंध में पंडित शिवम दीक्षित ने बताया कि होलिका दहन के लिए रात में पूर्णिमा होना जरूरी माना गया है। रात में पूर्णिमा व भद्रा साथ हो तो पुच्छ भद्राकाल के विकल्प का अनुपालन करने की बात निर्णय सिंधु और धर्म सिंधु जैसे ग्रंथों में कहीं गई है। इस दृष्टि से 6 मार्च को भद्रा पुच्छ में रात 12:18 बजे से रात 1:30 बजे तक होल का दहन होना चाहिए। 6 मार्च को ग्रहों और नक्षत्रों का विशेष योग भी बन रहा है। होलिका दहन के दिन कुंभ राशि में सूर्य बुध और शनि का त्रिग्रही योग बनेगा। मीन राशि में गुरु और शुक्र की युति से भी शुभ योग बन रहे हैं।। हालांकि 2 दिनों के होलिका दहन को लेकर लोग काफी असमंजस की स्थिति में है।
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