सरकार ने बाल विवाह निषेध अधिनियम में फेरबदल कर इसकी अधिसूचना भी जारी की है। अधिकारी रजनी गुप्ता के अनुसार, अगस्त 2023 के बाद हर बाल विवाह खारिज माना जाएगा। अब बाल विवाह के अगले ही दिन विवाहित एक दूसरे का साथ छोड़ सकते हैं।
पहले बाल विवाह होने के बाद जब युवक या युवती बालिग होते थे तो दो साल के भीतर शादी को रद्द करवा सकते थे, लेकिन अब हर बाल विवाह उसी समय से खारिज माना जाएगा। इसके लिए उन्हें कोर्ट जाने की जरूरत नहीं होगी। सरकार ने बाल विवाह निषेध अधिनियम में फेरबदल के बाद हाल ही में इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है, जिसके मुताबिक अगस्त 2023 के बाद प्रदेश में जो भी बाल विवाह हुए हैं उनको खारिज माना जाएगा।
बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत बाल विवाह करवाने के आरोप में दो साल की सजा और एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसके बावजूद प्रदेश में जगह-जगह बाल विवाह के मामले सामने आते रहे हैं। इस पर और प्रभावी अंकुश लगाने के लिए सरकार की ओर से अब बाल विवाह निषेध अधिनियम में भी बदलाव किया गया है।
साथ ही जिलों में महिला संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारियों को इस संबंध में लोगों को जागरूक करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। महिला सरंक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी रजनी गुप्ता के अनुसार, अगस्त 2023 के बाद हर बाल विवाह खारिज माना जाएगा। अब बाल विवाह के अगले ही दिन विवाहित एक दूसरे का साथ छोड़ सकते हैं। इसके लिए कोर्ट जाने की जरूरत भी नहीं है। बाल विवाह के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ी है।
लड़कियां खुद इस कुरीति के खिलाफ आवाज उठा रही हैं। परिवार द्वारा उनका वैध आयु से पहले विवाह तय करने पर वो खुद महिला सरंक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी को इसकी सूचना दे रही हैं। यही कारण है कि 2021 के मुकाबले 2023 में बाल विवाह के 40 प्रतिशत केस कम हुए हैं। 30 प्रतिशत केस में लड़की ने खुद अपने विवाह का विरोध करते हुए शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति 1091 पर बाल विवाह की सूचना दे सकता है। विभाग द्वारा बाल विवाह की सूचना देने वाले व्यक्ति की पहचान पूरी तरह से गुप्त रखी जाती है।
साल- मामले
2020 – 19
2021 – 27
2022 – 17
2023 – 16
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