कानपुर शहर में जिन-जिन क्षेत्रों में जलकल विभाग की वाटर सप्लाई नहीं है, वहां बीते पांच साल में सबसे अधिक भूगर्भ जलस्तर गिरा है। शहर में भूगर्भ जल में हर साल औसतन 45 सेंटीमीटर की गिरावट दर्ज की जा रही है, पर हमीरपुर रोड और हंसपुरम में पांच साल में रिकार्ड भूगर्भ जलस्तर गिरा है।
हमीरपुर रोड में 9.42 मीटर तो हंसपुरम में 7.34 मीटर जलस्तर लुढ़का है। गंभीरपुर, कल्याणपुर सहित कई अन्य मोहल्लों में भी जलस्तर लुढ़का है। केंद्र और राज्य सरकार भूगर्भ जल का अंधाधुंध दोहन रोकने के लिए गांवों और शहरों में विभिन्न अभियान चला रही है, लेकिन विभाग के अधिकारी इन अभियानों को पलीता लगा रहे हैं।
हालत यह है कि जल निगम के अधिकारियों, ठेकेदारों और सफेदपोशों की मिलीभगत के चलते जेएनएनयूआरएम के तहत 859 करोड़ की जलापूर्ति परियोजना में इतना ज्यादा भ्रष्टाचार हुआ, जिसके चलते अभी तक शहरवासियों को पर्याप्त पानी नसीब नहीं हुआ। यही नहीं आए दिन घटिया पाइप लाइनें फटती रहती हैं। जलकल विभाग भी जरूरत के हिसाब से पानी आपूर्ति करने में असफल साबित हुआ।
2016 के बाद तेजी से बिगड़े हैं हालात
इन वजह से लोग मजबूरन घरों में सबमर्सिबल लगवाने के लिए मजबूर हैं। इसके अलावा जगह-जगह खुले सर्विस स्टेशनों में भी रोज करोड़ों लीटर पानी बर्बाद किया जा रहा है पर इन पर अंकुश तक नहीं लग पा रहा है। भूगर्भ जल के अंधाधुंध दोहन से ज्यादातर मोहल्लों में लोगों को बोरिंग में दो-दो साल में 10-10 मीटर के पाइप डलवाने पड़ रहे हैं। पुरानी बोरिंग फेल हो रही हैं। 2016 के बाद हालात तेजी से बिगड़े हैं।
जिन मोहल्लों में जलापूर्ति व्यवस्था ठीक नहीं है या नहीं है, वहां भूगर्भ जल पर लोगों की निर्भरता बढ़ती जा रही है। इसी वजह से भूगर्भ जल स्तर में पहले की तुलना में ज्यादा गिरावट दर्ज की जा रही है। इसे बचाने के लिए न सिर्फ भूगर्भ जल पर निर्भरता कम करनी पड़ेगी, बल्कि वर्षा जल संचयन बढ़ाना पड़ेगा। -अविरल सिंह, अधिशासी अभियंता, भूगर्भ जल विभाग
हंसपुरम में ट्यूबवेल से ही पानी की आपूर्ति होती है। नौबस्ता-हमीरपुर रोड और आसपास के क्षेत्रों में बैराज प्लांट से पानी पहुंचना है। पूर्व में बिछी घटिया मुख्य पाइपलाइन बदलने का प्रस्ताव स्वीकृत हो गया है। चुनाव बाद अग्रिम कार्यवाही होगी। -आनंद कुमार त्रिपाठी, महाप्रबंधक जलकल विभाग
इन मोहल्लों में सर्वाधिक लुढ़का भूगर्भ जल स्तर
| स्थान | 2018 में भूगर्भ जल स्तर | मौजूदा स्थिति |
| हमीरपुर रोड | 13.80 मीटर | 22.22 मीटर |
| हंसपुरम | 9.10 मीटर | 16.44 मीटर |
| आवास विकास, कल्याणपुर | 13.70 मीटर | 16.90 मीटर |
| कालपी रोड | 28.90 मीटर | 29.50 मीटर |
| किदवईनगर | 17.55 मीटर | 22.22 मीटर |
| श्यामनगर | 26.95 मीटर | 29.55 मीटर |
| जाजमऊ | 5.30 मीटर | 6.60 मीटर |
नोट: हंसपुरम में जलापूर्ति ठीक नहीं है। नौबस्ता हमीरपुर रोड के आसपास ज्यादातर मोहल्लों में जलापूर्ति होती ही नहीं है।
इन कारणों से भी गिर रहा भूगर्भ जल स्तर
- बारिश की अवधि और कम वर्षा।
- फुटपाथों पर भी कंक्रीट डालकर इंटरलॉकिंग टाइल्स बिछाना।
- मसवानपुर, रावतपुर गांव, रोशननगर सहित अन्य मोहल्लों में तालाबों को अवैध रूप से पाटकर मकानों का निर्माण।
- रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के नाम पर खानापूरी।
- केडीए की उपेक्षा से रेन वाटर हार्वेस्टिंग पार्क से बच्चों को नहीं मिल रही वर्षा जल संचयन की सीख।
कानपुर नगर क्रिटिकल श्रेणी में
भूगर्भ जल विभाग के मुताबिक कानपुर नगर क्रिटिकल श्रेणी में है। ककवन, कल्याणपुर ग्रामीण, भीतरगांव क्रिटिकल इलाकों में हैं। सरसौल, घाटमपुर, बिधनू, शिवराजपुर, पतारा ब्लाॅक को सेमी क्रिटिकल श्रेणी में रखा गया है। क्रिटिकल जिन इलाकों में 90 फीसदी से अधिक भूगर्भ जल का दोहन होता है, उन्हें क्रिटिकल और जिनमें 70 से 90 फीसदी तक भूगर्भ जल का दोहन होता है, उन्हें सेमी क्रिटिकल श्रेणी में रखा जाता है।
इस तरह पता चलता है जलस्तर
भूजल स्तर के आंकलन के लिए शहर में 100 से अधिक केंद्र हैं। दो तरह से जलस्तर का पता लगाया जाता है। कुछ जगहों पर ऑटोमैटिक स्केल पीजोमीटर लगे हैं जो जलस्तर का पता लगाकर सीधे विभाग के सर्वर पर डेटा भेजते हैं। कुछ जगहों पर पीजोमीटर बोरिंग से जमीन में डाला जाता है, जितनी मीटर गहराई में पानी होता है, वहां इसके संपर्क में आते ही अलार्म बजने लगता है।
ऐसे होता है आकलन
साल में कितना जल भूगर्भ से निकाला जाता है और बारिश, सिंचाई, रेन वॉटर हॉर्वेस्टिंग से कितना पानी जमीन के नीचे जाता है, इन दोनों के अंतर से भूजल दोहन का आंकलन किया जाता है।
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